नई दिल्ली, 23 अक्टूबर . ऑस्ट्रेलिया भारत में अपने विश्वविद्यालयों के परिसर स्थापित करेगा. इस विषय पर दोनों देशों के बीच लगातार वार्ता भी जारी है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर के साथ द्विपक्षीय बैठक की. यहां प्रधान ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा में सहयोग भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों का आधार है.
उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली को योग्यता आधारित ढांचे में बढ़ाना है, जिसमें भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में उल्लिखित कौशल आधारित शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा.
धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच स्थायी संबंध और एनईपी 2020 द्वारा संचालित शिक्षा सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. उन्होंने कहा कि भारत में ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय परिसरों की स्थापना केवल शुरुआत है और इसमें बहुत कुछ हासिल करने की संभावनाएं हैं.
उन्होंने कहा कि दोनों देश मिलकर ज्ञान को आगे बढ़ा सकते हैं. वैश्विक चुनौतियों के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठा सकते हैं. छात्रों के लिए नवाचार और उद्यमिता के अनंत अवसरों का सृजन कर सकते हैं.
वहीं, ऑस्ट्रेलिया शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर एमपी ने एक बेहतर शिक्षा प्रणाली के महत्व पर जोर दिया जो सिर्फ जीवन ही नहीं बदल सकती, बल्कि यह राष्ट्रों को भी बदल सकती है. भारत की शिक्षा प्रणालियों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि 2035 तक दुनिया भर में विश्वविद्यालय की डिग्री प्राप्त करने वाले चार में से एक व्यक्ति को डिग्री भारत से मिलेगी.
उन्होंने बताया कि कैसे डेकिन जैसे ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय 30 वर्षों से भारत में है. उन्होंने भारत में एक कंसोर्टियम परिसर के लिए विकल्प तलाशने के लिए छह नवाचार अनुसंधान विश्वविद्यालयों द्वारा किए जा रहे कार्य की भी प्रशंसा की. इन चर्चाओं के दौरान धर्मेंद्र प्रधान ने विदेश मामलों के सहायक मंत्री टिम वाट्स एमपी से भी भेंट की.
प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया की विक्टोरिया की प्रीमियर जैसिंटा एलन से मुलाकात की. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि विक्टोरिया ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़े भारतीय प्रवासियों का घर है. उन्होंने विक्टोरिया में भारत के साथ स्कूलों और विश्वविद्यालयों के संस्थागत संबंधों को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की. प्रधान ने साउथ मेलबर्न प्राइमरी स्कूल का भी दौरा किया और युवा शिक्षार्थियों से बातचीत की.
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जीसीबी/एबीएम