केदारनाथ में बाबा के दर्शन के लिए आए श्रद्धालु प्रशासन की टोकन व्यवस्था से खुश, कहा – ‘लाइन में खड़े होने का झंझट खत्म’

रुद्रप्रयाग, 3 मई . उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई 2025 को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. बाबा केदार के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए प्रशासन ने इस साल टोकन सिस्टम लागू किया है, ताकि सभी श्रद्धालु आसानी से मंदिर में दर्शन कर सकें.

उल्लेखनीय है कि केदारनाथ धाम के कपाट खुलने के अवसर पर देशभर से बाबा केदार के दर्शन के लिए आए तीर्थयात्री भी टोकन सिस्टम से दर्शन की आसानी से काफी खुश नजर आए. देहरादून से शुभ कुमार, छत्तीसगढ़ से डॉ. दीपिका तथा अन्य श्रद्धालुओं ने इसके लिए प्रशासन की सराहना की. उनका कहना है कि लाइन में खड़े होने और घंटों इंतजार करने का झंझट खत्म हो गया है. टोकन में टाइम स्लॉट है, जिससे अपने नंबर पर आसानी से मंदिर में दर्शन करने में सुविधा हो रही है.

जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने बताया कि बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं की यात्रा को सुखद और सुगम बनाने के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन हरसंभव प्रयास कर रहा है. इसी क्रम में मंदिर परिसर में प्रवेश से पहले हेलीपैड के पास टोकन सिस्टम लगाया गया है, जिससे यात्रियों को दर्शन से पहले अपना नंबर पता चल जाएगा, इस बीच यात्री केदारपुरी घूम सकेंगे.

छत्तीसगढ़ के रायपुर से आईं डॉ. दीपिका ने कहा कि टोकन व्यवस्था से बहुत आसानी हो गई है. इसमें टाइम स्लॉट है, इसलिए लाइन लगाने की जरूरत नहीं है. इससे लोगों को बहुत सुविधा हो रही है.

उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से आए एक श्रद्धालु ने कहा कि यहां बहुत अच्छी सुविधा है. बाबा के दर्शन के लिए टोकन मिल रहा है. समय पर दर्शन हो रहे हैं.

गाजियाबाद के एक श्रद्धालु ने कहा कि मंदिर में दर्शन के लिए अच्छी व्यवस्था की गई है. टोकन की व्यवस्था बहुत अच्छी है. लाइन से बाबा के बहुत अच्छे दर्शन हो रहे हैं. राज्य सरकार बहुत अच्छा काम कर रही है.

बता दें कि केदारनाथ धाम के कपाट 2 मई को विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए थे. कपाट खुलने के बाद पहले ही दिन (शुक्रवार को) दर्शनों को लेकर श्रद्धालुओं में भारी उत्साह देखने को मिला. पहले दिन रिकॉर्ड 30,154 तीर्थ यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए.

एफजेड/एकेजे