काशी, 30 दिसंबर . धर्म नगरी काशी में सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व है. इस दिन श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए गंगा स्नान कर रहे हैं. सोमवती अमावस्या का संबंध सोमवार के दिन होने के कारण इसे “सोमवती अमावस्या” भी कहा जाता है.
आज के दिन श्रद्धालु स्नान, ध्यान और पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं. खासकर, श्री काशी विश्वनाथ (शिव) की पूजा और आराधना के लिए यह समय बहुत शुभ माना जाता है. इसके अलावा, पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान का भी महत्व है. इन धार्मिक क्रियाओं से परिवार को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन शिव-गौरी की पूजा और व्रत करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस संबंध में पंडित राजू झा ने से खास बातचीत में बताया, आज पौष मास का अमावस्या है. इसे सोमवती अमावस्या भी कहा जाता है. आज के दिन स्नान करने, दान या धर्म करने से अतृप्त आत्मा की तृप्ति होती है. इससे हमें पितर देवता का आशीर्वाद प्राप्त होता है. हमें इससे आशीष प्राप्त होता है. इससे हमारे वंश की वृद्धि होती है और हमारा जीवन आनंदकारी बीतता है.
उन्होंने बताया कि आज के दिन जब हम किसी भी प्रकार के धार्मिक कार्य करते हैं, तो इससे हमें बड़ा पुण्य मिलता है. आज के दिन पूरे विश्व से श्रद्धालु आ रहे हैं. सभी लोग अपनी क्षमता के अनुरूप पूजा करा रहे हैं. आज का दिन भगवान का शिव का भी दिन माना जाता है. कई लोग आज के दिन मां काली की भी पूजा करते हैं.
वहीं, पंडित मनीष उपाध्याय ने भी इस बारे में से बातचीत की. उन्होंने कहा कि आज अमावस्या का स्नान है. आज के दिन स्नान करने से बहुत पुण्य होता है. प्रभु की कृपा इस दिन बनी रहती है. यह भगवान शिव जी की नगरी है. कहा जाता है कि यह नगरी शिव जी के त्रिशूल में बसी हुई है. आज के दिन अगर कोई गंगा स्नान करता है, तो उसे पुण्य की प्राप्ति हो ही जाती है.
पंडित रामप्रकाश पांडे ने से बातचीत में बताया कि अमावस्या और पूर्णिमा के दिन स्नान करना बहुत अहम माना जाता है. आज के दिन स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. आज के दिन स्नान करने का सौभाग्य बहुत ही कम लोगों को प्राप्त हो पाता है.
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एसएचके/एएस