चंडीगढ़, 13 अप्रैल . दसवें सिख गुरु गोबिंद सिंह द्वारा खालसा पंथ (सिख संप्रदाय) के स्थापना दिवस के प्रतीक बैसाखी को मनाने के लिए शनिवार को पंजाब और हरियाणा के गुरुद्वारों में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे.
सिख धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक, अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में प्रार्थना करने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी.
325वें खालसा साजना दिवस (बैसाखी) के मौके पर एसजीपीसी ने स्वर्ण मंदिर में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कर्मचारियों को तैनात किया है.
पवित्र शहर आनंदपुर साहिब में तख्त केसगढ़ साहिब में भी भक्तों की भीड़ रही, जहां 1699 में खालसा पंथ की स्थापना हुई थी.
खालसा सजना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाली धार्मिक सभा में भाग लेने के लिए तीर्थयात्रियों का एक जत्था पाकिस्तान में गुरुद्वारा श्री पंजा साहिब के लिए रवाना हो गया है.
पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बैसाखी और खालसा पंथ के साजना दिवस पर शुभकामनाएं दीं.
एक संदेश में पुरोहित ने कहा कि बैसाखी का बहुआयामी महत्व है.
“यह खुशी और समृद्धि का संदेश देने वाले फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है. यह देश की प्रगति में हमारे किसानों के योगदान को कृतज्ञतापूर्वक याद करने का भी अवसर है.”
राज्यपाल ने कहा कि इस शुभ अवसर का सिख धर्म के गौरवशाली इतिहास में विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन 1699 में दसवें सिख गुरु गोबिंद सिंह ने मुगलों के अत्याचार के खिलाफ लड़ने के लिए ‘ऑर्डर ऑफ खालसा’ की स्थापना की थी.
उन्होंने एक बयान में कहा, “यह दिन 1919 में हमारे स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था. इस दिन कई ज्ञात और अज्ञात शहीदों ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में अपने जीवन का बलिदान दिया था. इस नरसंहार ने स्वतंत्रता आंदोलन को एक बड़ी प्रेरणा दी.” राज्यपाल ने सभी की खुशहाली की कामना की.
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