कैमूर, 1 जनवरी . नववर्ष के अवसर पर बिहार के कैमूर जिले के अति प्राचीन माता मुंडेश्वरी मंदिर को फूलों से सजाया गया. इस मौके पर दर्शन और पूजन के लिए श्रद्धालु उमड़े. आस्थावानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस बल को तैनात किया गया है.
मंदिर समिति अकाउंटेंट गोपाल कृष्ण ने से भक्तों की संख्या को ध्यान में रख की गई व्यवस्था के बारे में बताया.
उन्होंने कहा, नववर्ष के उपलक्ष्य में मंदिर में भारी भीड़ उमड़ी है. इस भीड़ को देखते हुए मंदिर न्यास समिति के सचिव के आदेश पर जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं. पुलिस बल, दंडाधिकारी, अतिरिक्त कर्मी और न्यास कर्मियों को तैनात किया गया है ताकि श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो. इसके अलावा, पानी की व्यवस्था, मेडिकल टीम और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गई हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो.
उन्होंने बताया कि प्रमुख रास्तों पर पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है ताकि किसी तरह की कोई असुविधा न हो. बोले, मंदिर में आने के लिए दो मुख्य रास्ते हैं – एक पैदल मार्ग है और दूसरा सीधी सड़क से आता है. दोनों रास्तों पर मजिस्ट्रेट और पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया है, ताकि दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो. मैं, गोपाल कृष्ण, मंदिर का एक सेवक हूं और यहां की व्यवस्थाओं में सहयोग कर रहा हूं ताकि हर श्रद्धालु को सुरक्षित और सुखद अनुभव हो.
मंदिर के पुजारी राधे श्याम झा ने माता मुंडेश्वरी मंदिर से जुड़ी मान्यताओं के बारे में बात की. उन्होंने कहा, भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है. यह मंदिर विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती में वर्णित है. इस मंदिर का नाम “मुंडेश्वरी” इस कारण पड़ा क्योंकि यह क्षेत्र “मुंड” के नाम से प्रसिद्ध था. स्थानीय मान्यता के अनुसार, यहां पर “मुंड” नामक असुर का वध किया गया था.
उन्होंने बताया कि यह एक अष्टमी मंदिर है. यहां एक विशेष श्री यंत्र का आकार भी है. पूरे साल भर मंदिर में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. विशेष रूप से नवरात्रि, सावन और बसंत पंचमी के दौरान यहां भारी भीड़ होती है. इन अवसरों पर विशेष पूजा अर्चना होती है.
बोले, ” यहां की सबसे खास बात यह है कि यहां बलि देने की परंपरा पूरी तरह से अहिंसक है. अन्य स्थानों पर बकरों की बलि दी जाती है, लेकिन माता मुंडेश्वरी के मंदिर में बकरों को केवल कुछ देर के लिए बेहोश किया जाता है. पुजारी बकरे को माता के चरणों में लेटा कर मंत्रोच्चारण के द्वारा उसे बेहोश करते हैं, और इसे ही बलि माना जाता है.”
नव वर्ष पर पहुंचे श्रद्धालु बृजेश कुमार जायसवाल ने बताया कि हम लोग हर एक तारीख को माता मुंडेश्वरी मंदिर को दर्शन के लिए आते हैं. मां मुंडेश्वरी की महिमा अपरंपार है. हम लोग मोहिनिया से चलकर आए हैं.
माता मुंडेश्वरी मंदिर, जो पंवरा पहाड़ी के शिखर पर स्थित है, देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है. यह मंदिर पटना से लगभग 200 किमी दूर सासाराम के बाद स्थित है. मंदिर की स्थापना 5वीं शताब्दी के आसपास मानी जाती है.
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एसएचके/केआर