विकासशील देश एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस के प्रति अधिक संवेदनशील : डब्ल्यूएचओ

नई दिल्ली, 18 नवंबर . विश्व स्वास्थ्य संगठन की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने सोमवार को कहा कि विकासशील देश रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस) की समस्या अधिक गंभीर है, जो एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता बनती जा रही है. यह जीवन रक्षक दवाओं की प्रभावशीलता और संक्रामक रोगों के इलाज को प्रभावित करती है.

हर साल 18-24 नवंबर को मनाया जाने वाला विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह वैश्विक रोगाणुरोधी प्रतिरोध के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सर्वोत्तम प्रथाओं को प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखता है.

इस वर्ष विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह 2024 की थीम “एजुकेट, एडवोकेट, एक्ट नाउ” है. यह हर स्तर पर एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस से निपटने के लिए आवश्यक तत्परता और प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 2019 में अनुमानित 1.27 मिलियन वैश्विक मौतें सीधे बैक्टीरियल एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस का परिणाम थीं, और इसने कारण 4.95 मिलियन मौतें हुई.

वाजेद ने विकासशील देशों में स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुंच और रोगाणुरोधी दवाओं के दुरुपयोग को एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) के जोखिम को बढ़ने के लिए प्रमुख जोखिम कारक बताया.

क्षेत्रीय निदेशक ने कहा, ” एएमआर से निपटने की तत्काल आवश्यकता है. उच्च जनसंख्या घनत्व, सीमित स्वास्थ्य सेवा पहुंच और रोगाणुरोधी दवाओं का दुरुपयोग एएमआर के जोखिम और प्रभावों को बढ़ाता है.”

उन्होंने कहा कि इस वर्ष विश्व एंटीमाइक्रोबियल जागरूकता सप्ताह का आयोजन 2024 के राजनीतिक घोषणापत्र के ऐतिहासिक अनुमोदन के बाद आता है, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा की 79वीं उच्च-स्तरीय बैठक में एएमआर पर और जेद्दा में चौथे वैश्विक उच्च-स्तरीय मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में हुआ था.

वाजेद ने कहा, “विश्व नेताओं ने एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (एएमआर) से लड़ने के लिए कई महत्‍वपूर्ण लक्ष्‍य निर्धारित किए हैं. उनके इस लक्ष्‍य में 2030 तक कम से कम 60 प्रतिशत देशों में वित्त पोषित राष्ट्रीय कार्य योजनाएं लागू करना शामिल है.”

वाजेद ने कहा, ”आज हम जो चुनाव करते हैं, उसका असर आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य पर पड़ेगा. आपकी प्रतिबद्धता और नेतृत्व परिणामों और प्रभावों में बदलने के लिए महत्वपूर्ण है.”

एमकेएस/एएस