बेंगलुरु, 16 अक्टूबर . भारी बारिश के कारण बुनियादी ढांचे की विफलता के विपक्ष के आरोप पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने कहा कि विपक्ष को राज्य को बदनाम करना बंद करना चाहिए और पूछा कि “क्या प्रकृति को नियंत्रित किया जा सकता है या चक्रवातों को रोका जा सकता है”.
शिवकुमार ने गुस्से में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “सरकार बेंगलुरु में अप्रत्याशित भारी वर्षा को प्रबंधित करने में पूरी तरह सक्षम है. क्या हम प्रकृति को नियंत्रित कर सकते हैं? क्या हम चक्रवातों को रोक सकते हैं? विपक्षी दल इसे समझने में विफल हैं, उन्हें राज्य को बदनाम करना बंद करना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “बेंगलुरु में भारी बारिश के कारण एहतियात के तौर पर स्कूलों में छुट्टी कर दी गई है. आज (बुधवार) और बारिश होने की संभावना है, जिससे यातायात जाम हो सकता है, इसलिए जनता को सतर्क रहना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “कावेरी पांचवें स्टेज की पेयजल परियोजना के उद्घाटन कार्यक्रम से लौटने के बाद मैं पुलिस विभाग, बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा करने के लिए एक और दौर की बैठक करूंगा.”
उपमुख्यमंत्री शिवकुमार ने कहा, “मैंने विपक्षी नेताओं के ट्वीट देखे हैं. क्या हम प्रकृति को नियंत्रित कर सकते हैं और उसे बता सकते हैं कि उसे क्या करना है? चक्रवात के प्रभाव के कारण अप्रत्याशित बारिश हुई है. अगर और बारिश होती है, तो भी सरकार और लोग इससे निपटने के लिए तैयार हैं.”
केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने इस स्थिति के लिए कांग्रेस सरकार की आलोचना की थी.
उन्होंने कहा, ”बेंगलुरु में भारी बारिश ने बुनियादी ढांचे की विफलता को पूरी तरह उजागर कर दिया है. तथाकथित ‘भारत की सिलिकॉन वैली’ अब अपनी ही लापरवाही में डूब रही है. आईटी कॉरिडोर में पानी भर गया है, सड़कें दुर्गम हो गई हैं और शहर डूब रहा है.”
कुमारस्वामी ने आरोप लगाया, ”यह सिर्फ बारिश नहीं है, यह शासन की विफलता है. कांग्रेस की कमजोर नीतियों ने ब्रांड बेंगलुरु को बर्बाद कर दिया है. संभावित निवेशक पीछे हट रहे हैं, सवाल कर रहे हैं कि एक ‘वैश्विक तकनीकी केंद्र’ बुनियादी शहरी प्रबंधन को कैसे संभाल नहीं सकता. जागो, शहर का भविष्य दांव पर है.”
मौसम विभाग ने बताया है कि बेंगलुरु और राज्य के तटीय जिलों में अगले चार दिन तक अप्रत्याशित बारिश जारी रहेगी.
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एमकेएस/एकेजे