कर्नाटक : भोवी निगम घोटाले में आरोपों के खिलाफ भाजपा सांसद कोटा श्रीनिवास पुजारी का प्रदर्शन

बेंगलुरु, 29 जुलाई . कर्नाटक भोवी विकास निगम में कथित हेराफेरी के आरोपों में घिरे भाजपा सांसद कोटा श्रीनिवास पुजारी ने सोमवार को यहां कर्नाटक विधान सौध में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने विरोध-प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री सिद्दारमैया से उनके खिलाफ लगाए गए आरोप वापस लेने की मांग की.

सांसद पुजारी महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एक तख्ती लेकर धरने पर बैठ गये. उन्होंने कहा कि या तो कर्नाटक सरकार उनके खिलाफ आरोप वापस लें नहीं तो मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दे.

विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष चालावाड़ी नारायणस्वामी, वरिष्ठ भाजपा नेता और विधायक एस. सुरेशकुमार सहित अन्य लोग भी उनके साथ प्रदर्शन में शामिल हुए.

पुजारी ने कहा, “मैंने सीएम सिद्दारमैया को एक पत्र लिखा था, जिसमें उनसे अनुरोध किया था कि या तो मेरे खिलाफ झूठे आरोप वापस लें या मामले को सीबीआई को सौंप दें. सीएम की चुप्पी से मैं दुखी हूं. इसलिए, मैं विधान सौध में इस प्रतीकात्मक विरोध का सहारा ले रहा हूं. राज्य के लोगों को इस पर अपना फैसला सुनाने दें.”

पुजारी ने पहले ही कहा था कि अगर उनके खिलाफ लगे आरोप वापस नहीं लिए गए तो वे विरोध-प्रदर्शन करेंगे.

उन्होंने चुनौती दी, “सीआईडी ​​आपके नियंत्रण में है. आप एक साल से सीएम हैं. अगर मैं दोषी हूं तो आपको जेल भेजने सहित कार्रवाई करने का अधिकार है, फिर भी आपने कुछ नहीं किया. जब मैं मंत्री था तो आप विपक्ष के नेता थे और आपने कभी कोई मुद्दा नहीं उठाया. अब आप वाल्मीकि कांड में शामिल अन्य लोगों से ध्यान हटाने के लिए आरोप लगा रहे हैं.”

पुजारी ने कहा, “पिछली सरकार में भी झूठे मामले सामने आए थे. मेरा नाम बोरवेल घोटाले में घसीटा गया था. जब मैं मंत्री था तो मैंने टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायतों की सीआईडी ​​जांच के आदेश दिए थे.”

उन्होंने कहा, “अधिकारियों ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री को बताया है कि मेरे समाज कल्याण मंत्री रहते हुए कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि एक रुपये का भी दुरुपयोग नहीं हुआ.”

सांसद ने आरोप लगाया, “आप मेरे खिलाफ जानबूझकर आरोप लगा रहे हैं. मैंने स्पष्टीकरण के लिए आपको पत्र लिखा है. आपने मुझ पर भोवी निगम के मामलों के संबंध में आरोप लगाया है. जब सिद्दारमैया पहले सीएम थे, तो उन्होंने कुछ अधिकारियों को नियुक्त किया था जो कदाचार और घोटाले में शामिल थे. मैंने तुरंत उन अधिकारियों को निलंबित कर दिया और मामले की सीआईडी ​​जांच के आदेश दिए.”

एमकेएस/एकेजे