स्वास्थ्य देखभाल इकाइयों के निजीकरण के ख‍िलाफ पाकिस्तान के पंजाब में प्रदर्शन

पंजाब, 16 मार्च . पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने प्रांतीय सरकार के उस फैसले के खिलाफ रैलियां निकालीं, जिसमें बुनियादी स्वास्थ्य इकाइयों (बीएचयू) और ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों (आरएचसी) को आउटसोर्स करने का प्रस्ताव किया गया है. इन स्वास्थ्य कर्मचारियों में डॉक्टर, पैरामेडिक्स, नर्स और लिपिक कर्मचारी शामिल हैं.

स्थानीय मीडिया के मुताबिक, रविवार को ओकारा में सिटी हॉस्पिटल से प्रेस क्लब तक एक विरोध रैली निकाली गई. इसमें शामिल लोग बैनर लेकर आए थे और निजीकरण नीति के खिलाफ नारे लगा रहे थे. उन्होंने इसे कम दर्जे के स्वास्थ्य कर्मचारियों का आर्थिक शोषण बताया.

यंग डॉक्टर्स एसोसिएशन (वाईडीए) और पंजाब ग्रामीण स्वास्थ्य कर्मचारी एसोसिएशन के सदस्यों समेत प्रदर्शनकारियों ने कहा कि साहीवाल में पहले ही सात बीएचयू को आउटसोर्स किया जा चुका है और 12 और को निजीकरण करने की योजना है.

ग्रैंड हेल्थ अलायंस (जीएचए) द्वारा आयोजित यह विरोध प्रदर्शन 40 जिलों में फैलने वाले प्रांतव्यापी आंदोलन का हिस्सा था. पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र डॉन के अनुसार, ओकारा में स्वास्थ्य कर्मचारियों ने डीएचक्यू सिटी हॉस्पिटल, डीएचक्यू साउथ सिटी, टीएचक्यू रेनाला और बामा बाला तथा धार धुलियाना के आरएचसी में बाहरी मरीज विभाग (ओपीडी) और इनडोर वार्ड का बहिष्कार किया.

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल और तालागांग शहरों में भी पंजाब सरकार की निजीकरण नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. विरोध प्रदर्शन के पहले दिन शनिवार को बड़ी संख्या में बेसिक हेल्थ यूनिट्स (बीएचयू) के कर्मचारी चकवाल स्वास्थ्य विभाग के सीईओ के कार्यालय के सामने इकट्ठा हुए और नारे लगाए.

बाद में, विरोध के दूसरे चरण में, चकवाल के उपायुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने कहा कि वे इन केंद्रों में 30 साल से काम कर रहे हैं, जो पहले नशेड़ियों और आवारा जानवरों के लिए आश्रय स्थल थे.

एक प्रदर्शनकारी ने पाकिस्तान के प्रमुख दैनिक द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया, “जबकि पंजाब में निजीकरण हो रहा है और हमारी नौकरियां छीन ली जा रही हैं. वहीं अन्य तीन प्रांतों में कर्मचारियों को ईद के लिए अग्रिम वेतन भी मिल रहा है.”

प्रदर्शन के दौरान महिला कर्मचारी रोते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री से बेरोज़गारी से बचाने की अपील करती नज़र आईं. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने कहा कि वे पेंशन, अतिरिक्त लाभ या वेतन वृद्धि नहीं मांग रही हैं, बल्कि बस अपनी नौकरी बचाए रखना चाहती हैं.

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