नई दिल्ली, 20 जुलाई . भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता तुहिन सिन्हा ने डेमोग्राफी वॉर अर्थात जनसांख्यिकी युद्ध को वैश्विक समस्या बताते हुए कहा है कि भारत में भी यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. उन्होंने दावा किया कि भाजपा एकमात्र ऐसी राजनीतिक पार्टी है जो असम सहित पूरे देश में इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रही है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा उनके राज्य के 2041 तक मुस्लिम बहुल राज्य बन जाने के बयान का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि असम के मुख्यमंत्री ने इस पर खुल कर चर्चा शुरू की है. असम में यह समस्या आजादी के तुरंत बाद शुरू हो गई थी लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इस संबंध में असम के पहले मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें लिखी गई चिट्ठी तक को नजरअंदाज कर दिया था. लेकिन अब यह जनसांख्यिकी युद्ध की समस्या सिर्फ असम तक ही सीमित नहीं है बल्कि झारखंड के 5 जिलों- पाकुड़, दुमका, साहिबगंज, देवघर और जामताड़ा में अवैध घुसपैठियों के कारण वहां के स्थानीय लोगों का रहना दुश्वार हो गया है. झारखंड के इन जिलों में आए दिन आदिवासियों को प्रताड़ित कर, उन्हें धोखा देकर उनकी जमीन छीनी जा रही है. झारखंड उच्च न्यायालय ने इन जिलों के डीसी को इस समस्या के निदान के लिए काम करने को कहा है लेकिन राज्य की जेएमएम और कांग्रेस सरकार उन्हें रोक रही है.
उन्होंने आगे कहा कि 1947 में भारत का विभाजन धर्म के आधार पर हो चुका है और अगर एक समुदाय विशेष की जनसंख्या तेजी से बढ़ती है तो भविष्य में उनकी मांगें बढ़ने से कई तरह की समस्या खड़ी हो सकती है. उन्होंने इससे प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा इस पर कार्रवाई करने की अपील करते हुए यह भी कहा कि यदि प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्री वोट बैंक की राजनीति से ऊपर उठकर इस पर तुरंत कार्रवाई नहीं करते हैं, तो वे अपने-अपने राज्यों और देश के भविष्य को संकट में डाल रहे हैं. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी इस पर एक्शन नहीं ले रही है, झारखंड में हेमंत सोरेन इस समस्या को खारिज कर रहे हैं और ऐसे में भविष्य में इस अवैध घुसपैठ के कारण देश के हालात के बिगड़ने के लिए यही लोग जिम्मेदार होंगे. इस मामले में कांग्रेस, टीएमसी, जेएमएम और आरजेडी जैसे तमाम दलों को अपने-अपने राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर अवैध घुसपैठियों के मामले में स्टैंड लेना चाहिए.
इसके साथ ही भाजपा प्रवक्ता ने यह भी जोड़ा कि इस समस्या से सिर्फ भारत के असम, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य ही पीड़ित नहीं हैं, बल्कि यूरोप भी इस जनसांख्यिकी युद्ध से उतना ही ग्रसित है जितना भारत. यूके सहित यूरोप के कई देशों में जनसांख्यिकी युद्ध के कारण पैदा हुए जनसंख्या असंतुलन के कारण दंगे हो रहे हैं.
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एसटीपी/