भारत में मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में तेजी से बढ़ी वेयरहाउसिंग स्पेस की मांग : रिपोर्ट

मुंबई, 30 जुलाई भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में तेजी के कारण वेयरहाउस की मांग में इजाफा देखने को मिल रहा है.

मंगलवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वर्ष की पहली छमाही में देश के आठ प्राथमिक बाजारों में 23 मिलियन स्क्वायर फीट के वेयरहाउस लेनदेन देखने को मिले हैं.

नाइट फ्रैंक इंडिया की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि 55 प्रतिशत लेनदेन ‘ग्रेड ए’ के स्पेस के लिए हुए हैं. कुल वेयरहाउसिंग स्पेस वॉल्यूम में मुंबई की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है.

नाइट फ्रैंक इंडिया के प्रबंधक निदेशक, शिशिर बैजल ने बताया कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ओर से आ रही मांग ने ई-कॉमर्स सेक्टर के सुस्त प्रदर्शन की भरपाई की है.

उन्होंने आगे कहा कि वेयरहाउस विकसित करने के लिए जमीन मिलना अभी भी एक चुनौती बनी हुई है. संस्थागत निवेशकों की इस सेक्टर में बढ़ती रुचि के कारण आपूर्ति भी उच्च गुणवत्ता वाली होनी चाहिए.

रिपोर्ट में आगे बताया गया कि दिल्ली-एनसीआर वेयरहाउसिंग स्पेस के लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. इसकी कुल वॉल्यूम में हिस्सेदारी 17 प्रतिशत है.

पुणे, देश का सबसे महंगा वेयरहाउसिंग मार्केट है और यहां औसत किराया 26 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर है. इसके बाद कोलकाता और मुंबई का स्थान आता है जहां औसत किराया क्रमश: 23.8 रुपये प्रति स्क्वायर मीटर और 23.6 प्रति स्क्वायर मीटर है.

रिपोर्ट में बताया गया कि पुणे और चेन्नई में सालाना आधार पर औसत किराया 4 प्रतिशत बढ़ा है. वहीं, एनसीआर और कोलकाता में सालाना आधार पर औसत किराये में 3 प्रतिशत की बढ़त हुई है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि एप्पल, सैमसंग, फॉक्सकॉन और टीएसएमसी जैसी वैश्विक कंपनियों की ओर से भारत में मैन्युफैक्चरिंग क्षमता विस्तार किए जाने का फायदा वेयरहाउसिंग सेक्टर को मिल रहा है.

एबीएस/