पटना, 1 जुलाई . बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर एक बार फिर से सियासत शुरू हो गयी है. वैसे, यह मांग कोई नई नहीं है. इसे लेकर पहले भी खूब सियासत हुई है. अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए एक बार फिर राजनीतिक दल इसे हवा देने में जुट गये हैं.
वर्ष 2005 में एनडीए की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विशेष राज्य के दर्जे की मांग 2006 में जोरदार तरीके से उठाई थी, लेकिन केंद्र सरकार ने हमेशा से इस मांग को अनसुना किया है.
विशेष राज्य के दर्जे की मांग को लेकर सीएम नीतीश ने सबसे पहली और सबसे बड़ी हुंकार 4 नवंबर 2012 को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान से भरी थी. इसके बाद 17 मार्च 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य का दर्जे दिलाने के लिए ‘अधिकार रैली’ की गई. उस समय नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार को उसका हक मिलना चाहिए. बिहार को भी विकास करने का अधिकार है. बिहार ने पहली बार अपना हक मांगा है और वह मिलना चाहिए.
नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) ने दिल्ली में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग की है. इसके बाद रविवार को एनडीए में शामिल लोजपा (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी जदयू के सुर में सुर मिलाया. उन्होंने कहा कि यह दबाव की राजनीति नहीं है, बल्कि यह हमारी मांग रही है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. बिहार में कौन सी पार्टी ऐसी है जो यह मांग नहीं करेगी या इस मांग पर सहमत नहीं होगी? हम खुद इसके पक्ष में हैं.
उन्होंने कहा कि हम एनडीए सरकार में हैं, भाजपा गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमारे नेता हैं जिन पर हम सबको विश्वास है. उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि नए प्रावधानों के तहत तकनीकी दिक्कतें हैं.
राजनीतिक टिप्पणीकार और वरिष्ठ पत्रकार मणिकांत ठाकुर कहते हैं कि यह मुद्दा अब घिस गया है. बिहार के लोग भी समझते हैं कि राजनीतिक दल इसका इस्तेमाल दबाव बनाने और अपनी विफलता को छिपाने के लिए कर रहे हैं. यह नीतीश कुमार भी जानते हैं कि अब किसी प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता है. उन्होंने कहा कि यूपीए की सरकार में ही यह साफ हो गया था कि किसी प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिल सकता. एनडीए सरकार भी उसी लाइन पर चल रही है.
उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि केंद्र सरकार बिहार को स्पेशल पैकेज या अन्य किसी तरह से सुविधा दे सकती है, लेकिन इसके बाद कई अन्य पिछड़े राज्य भी इसकी मांग करेंगे.
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एमएनपी/एकेजे