दीपावली पर स्वदेशी उत्पादों की बढ़ी मांग, कुम्‍हार समुदाय के मिट्टी के दीयों को मिली नई पहचान

वडोदरा,11 अक्‍टूबर . दीपावली के पर्व पर देशभर में पारंपरिक और स्वदेशी वस्तुओं की मांग तेजी से बढ़ रही है. ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल और Governmentी प्रोत्साहन के चलते छोटे व्यापारियों व कारीगरों के चेहरों पर रौनक लौट आई है. इसी कड़ी में कुम्‍हार समुदाय अपनी वर्षों पुरानी परंपरा को सहेजते हुए मिट्टी के दीये, बर्तन और सजावटी सामान बनाकर बाजार में फिर से अपनी जगह मजबूत कर रहे हैं.

हर साल की तरह इस बार भी दीपावली के नजदीक आते ही चीनी उत्पादों के बाजार में तेजी देखने को मिली, लेकिन उसके बावजूद कुम्हार समाज द्वारा बनाए जा रहे आकर्षक मिट्टी के दीये, दीपदान और घरेलू सजावटी वस्तुओं की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. लोग अब पर्यावरण के अनुकूल, स्वदेशी उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं.

कुम्‍हार समुदाय के कारीगरों का कहना है कि अब फैशन और परंपरा का संगम हो गया है. सुंदर डिजाइनों, रंगों और आर्ट वर्क से सजाकर तैयार किए गए मिट्टी के दीये आधुनिक घरों की सजावट में नया आकर्षण जोड़ रहे हैं. स्थानीय बाजारों में मिट्टी से बने रंग-बिरंगे लैंप, कलश, घंटियां और पूजा सामग्री की बिक्री जोरों पर है.

व्यापारी राकेश प्रजापति ने से खास बातचीत के दौरान कहा, “हमारा दीपावली का त्यौहार नजदीक आ रहा है और हम अपनी परंपरा के तहत मिट्टी के दीये जलाते हैं. अब समय के साथ हमने अपने दीयों को आकर्षक डिजाइनों में ढाल दिया है. हमारे उत्पाद चीनी सामान को टक्कर दे रहे हैं. Government की ओर से हमें प्रशिक्षण, लोन और प्रदर्शनियों में भागीदारी जैसी सुविधाएं मिल रही हैं. हमारा उद्देश्य है कि लोगों को कुछ नया और पारंपरिक दोनों का अनुभव मिले.”

वहीं ग्राहक दीपिका गोहिल ने कहा, “मैंने यहां से डिजाइनर मिट्टी के दीये खरीदे हैं. Prime Minister मोदी के ‘स्वदेशी अपनाओ’ आह्वान के बाद हम देश में बने उत्पादों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं. इससे देश के बाजार को मजबूती मिलेगी, व्यापारी सशक्त होंगे और देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. हमें चाइना का सामान नहीं खरीदना चाहिए. अगर हम सब मिलकर प्रयास करेंगे तो देश आत्मनिर्भर बनेगा.”

एएसएच/जीकेटी