चीन में बढ़ रही भारतीय योग गुरुओं की डिमांड

बीजिंग, 6 जुलाई . योग एक प्राचीन परंपरा है, जिससे शरीर और मन के बीच संतुलन बनाया जाता है. यही वजह है कि पूरी दुनिया में लोगों ने योग को अपनाया है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुरुआत हुई थी, जो भारत के पड़ोसी देश चीन में भी तेजी से लोकप्रिय हुआ.

इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि चीन के सभी बड़े शहरों पेइचिंग-शांगहाई के साथ-साथ छोटे शहरों में भी योगा क्लासेस और स्कूल खुल चुके हैं. माना जा रहा है कि चीन में भी आने वाले समय में योग एक बड़ा विजन बनने वाला है.

चीन में योग का प्रचलन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. पिछले साल के आंकड़ों के मुताबिक, चीन के लगभग सभी प्रांतों और शांगहाई, पेइचिंग, शेंचन, नानजिंग शहरों में अलग-अलग योग संस्थानों में योगा सिखाया जाता है. योग को मानने और समझने वाले चीनी लोगों की संख्या तेजी से बढ़ी है. इतना ही नहीं योग चीन में एक नए व्यवसाय के रूप में विकसित हो रहा है, जो आने वाले वक्त में चीन के लोगों के लिए उपयोगी कदम साबित होने वाला है.

ताई ची को अगर चायना का ‘योगा’ कहा जाए तो गलत नहीं होगा. चीनी मार्शल आर्ट से ली गई यह ऐसी परंपरा है जो शरीर पर नियंत्रण, सांस का नियमन और शरीर संतुलन को एकजुट करती है. वहीं योग भी प्राचीन परंपरा है. ऐसे में चाइना में योग के प्रति लोगों का क्रेज बढ़ने की एक बड़ी वजह ताई ची भी है. ताई ची के चलते चाइना के लोग योग को तेजी से अपनी लाइफ स्टाइल में ला रहे हैं. ताई ची और योग का अभ्यास न केवल शरीर को मजबूत करता है बल्कि तनाव से राहत भी देता है. सीधे तौर पर यह बात अब दोनों देशों के नागरिक जानते हैं कि प्राचीन भारतीय संस्कृति के रूप में योग को चीन में लाया गया और उत्कृष्ट चीनी संस्कृति के रूप में ताई ची को भारत तक पहुंचाया गया. ऐसे में दोनों देशों के लोग खुद को योग से कनेक्ट कर चुके हैं.

आपको शायद यह बात जानकर हैरानी होगी कि आज दुनिया के सबसे ज्यादा योग केंद्र चीन में खुल चुके हैं. इसकी बड़ी वजह यह भी है कि यहां के फिटनेस सेंटरों को भी योग क्लासेस में तब्दील कर दिया गया है. चीन और भारत में पारंपरिक और सांस्कृतिक रूप से अच्छे संबंध रहे हैं. ऐसे में चीन के लोगों में भारतीयों के प्रति श्रद्धा और एकजुटता का भाव रहता है. जिस तरह से चीनी मार्शल आर्ट का क्रेज भारतीयों में रहता है, उसी तरह योगा का क्रेज चायनीज लोगों में बढ़ रहा है. चीनी मार्शल आर्ट भी बहुत हद तक योग के जैसा ही है. इसमें भी सैकड़ों अलग-अलग युद्ध शैलियों का संग्रह है, जो शरीर की ऊर्जा को एकत्रित करके किया जाता है. बस मार्शल आर्ट में जोश हाई रहता है, जबकि योग करते समय मन को बिल्कुल शांत रखा जाता है. लेकिन दोनों के गुण एक जैसे होने से इसमें कई समानताएं दिखती हैं. दोनों का अभ्यास शरीर को फिट और मजबूत बनाता है.

योग अब चीन के लोगों की जिंदगी का हिस्सा बन रहा है. ऐसे में पिछले कुछ सालों में भारत के ‘योग गुरूओं’ की डिमांड तेजी से चीन में बढ़ी है. चीन में लाखों लोग योगा सीख रहे हैं, अकेले राजधानी बीजिंग में 1 हजार से ज्यादा योग केंद्र हैं जिनमें 3 लाख से ज्यादा छात्र हर दिन योगा सीखते हैं. भारत की योग नगरी कहे जाने वाले ऋषिकेश में प्रशिक्षित योग गुरुओं का चीन में डंका बजता है. आज के वक्त में 3 हजार से भी ज्यादा भारतीय योग गुरु चीन में हैं, जिनमें से 70 से 80 फीसदी योग गुरु ऋषिकेश और हरिद्वार के हैं.

चीन में भारतीय गुरुओं को ही ज्यादा पसंद किया जाता है. दरअसल, चीनी, भारत के प्रशिक्षकों को इसलिए चुनते हैं क्योंकि वह उनके बेसिक्स को मजबूत मानते हैं. चीनी योग को एक दम सही ढंग से ही सीखना चाहते हैं. इसलिए वो इसके लिए भारत से ही विशेषज्ञ बुलाते हैं.

चीन के दक्षिण-पश्चिमी युन्नान प्रांत के युन्नान मिनत्सु विश्वविद्यालय में भारत की तरफ से पहला योग कॉलेज खुल गया है. जिसे ‘चीन-भारत योग कॉलेज’ कहा जाता है. इस कॉलेज की खासियत यह है कि यहां योग और ताई ची की नींव रखने वाले चीनी और भारतीय टीचर छात्रों को प्रशिक्षित करते हैं. ऐसे में यह कॉलेज चीन और भारत के लोगों के बीच संबंध स्थापित करने में कूटनीतिक पुल की तरह काम करता है. चीन में योग इंडस्ट्री 20 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ रही है. आज के वक्त में वहां योग गुरुओं में से हर कोई प्रति महीने एक लाख रुपये से ऊपर कमा रहा है. यानि योग चीन और भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ाने में भी उपयोगी साबित हो रहा है.

(साभार-चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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