रांची, 19 मार्च . आदिवासी बहुल इलाकों में पंचायती व्यवस्था के विशिष्ट कानून “पेसा” (पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरिया एक्ट),1996 के प्रावधानों को झारखंड में लागू करने की मांग तेज हो गई है. पेसा कानून के प्रावधानों का शत-प्रतिशत अनुपालन करते हुए झारखंड में नियमावली तैयार करने और इसे प्रभावी तौर पर जमीन पर उतारने की मांग को लेकर बुधवार को सैकड़ों आदिवासियों ने खूंटी जिले की ऐतिहासिक डोंबारी बुरू पहाड़ी से झारखंड विधानसभा तक पैदल मार्च की शुरुआत की है.
डोंबारी बुरू पहाड़ी ही वह स्थान है, जहां भगवान बिरसा मुंडा की अगुवाई में आदिवासियों ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उलगुलान (विद्रोह) किया था. आदिवासियों के संगठन “झारखंड उलगुलान संघ” के आह्वान पर निकले इस मार्च में शामिल लोग 21 मार्च को झारखंड विधानसभा पहुंचेंगे.
संघ के संयोजक एलेस्टेयर बोदरा ने मार्च की शुरुआत के मौके पर कहा कि यह सिर्फ एक पैदल यात्रा नहीं, बल्कि उलगुलान (विद्रोह) है. उन्होंने कहा कि जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि राज्य की सरकार झारखंड पंचायत राज अधिनियम, 2001 की धारा 131(1) के तहत ‘पेसा’ की नियमावली निर्माण का प्रयास कर रही है, जो न्यायसंगत नहीं है.
उन्होंने सवाल उठाया कि ‘पेसा’, 1996 की धारा 4(ण) में आदिवासी स्वशासन को मजबूत करने का जो संवैधानिक प्रावधान किया गया है, क्या उसे सही रूप में झारखंड में लागू किया जाएगा? फिलहाल जो प्रक्रिया चल रही है, उसमें इस प्रावधान को नजरअंदाज किया जा रहा है. बोदरा ने कहा कि राज्य विधानमंडल को संविधान की छठी अनुसूची के अनुरूप अनुसूचित क्षेत्रों में जिला स्तर पर पंचायतों की प्रशासनिक व्यवस्था बनानी चाहिए, लेकिन राज्य सरकार ने अपने प्रारूप में इस प्रावधान का कोई उल्लेख नहीं किया है. इससे स्पष्ट है कि सरकार छठी अनुसूची के तहत स्वशासी जिला परिषद का गठन नहीं करना चाहती है.
मार्च में शामिल लोगों को आदिवासी एक्टिविस्ट ग्लैडसन डुंगडुंग, लक्ष्मी नारायण मुंडा, सुषमा बिरूली, सुरेश सोय, रेयांस समड, प्रवीण कच्छप और राधा कृष्ण सिंह मुंडा सहित अन्य वक्ताओं ने संबोधित किया. मार्च में लगभग 300 लोग शामिल हैं.
उल्लेखनीय है कि हाल में झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने भी राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों में पेसा एक्ट को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाने को कहा था.
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एसएनसी/