तुर्की के खिलाफ सेब उत्पादक संगठन, पीएम को पत्र लिखकर आयात पर प्रतिबंध की मांग

नई दिल्ली, 14 मई . भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के खिलाफ तुर्की ने पाकिस्तान का साथ दिया. उसने पाकिस्तान को ड्रोन और हथियारों की आपूर्ति की, जिसके बाद अब भारत में तुर्की के विरोध में स्वर उठने लगे हैं. भारत के कई संगठनों और आम लोगों ने तुर्की और वहां की वस्तुओं व सेवाओं को बैन करने की मांग की है.

हिमालयी सेब उत्पादक किसानों के संगठन “हिमालयन एप्पल ग्रोअर्स सोसाइटी” ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तुर्की से सेब आयात पर तत्काल प्रतिबंध लगाने की मांग की है.

संगठन का कहना है कि लगातार बढ़ते तुर्की से सेब आयात ने हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के बागवानों को आर्थिक संकट में डाल दिया है.

पत्र में संगठन ने बताया कि इन राज्यों में लाखों परिवार सीधे तौर पर सेब उत्पादन और उससे जुड़ी गतिविधियों पर निर्भर हैं. यह केवल उनकी आजीविका का प्रश्न नहीं, बल्कि इन राज्यों की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान से भी जुड़ा हुआ है.

तुर्की से सेब आयात में साल दर साल वृद्धि हुई है और अब यह भारतीय बागवानों के लिए एक गंभीर प्रतिस्पर्धा बन गया है. उदाहरण के तौर पर, 2023-24 में तुर्की से आयातित सेब का मूल्य 821 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है. इससे स्थानीय सेब की कीमतों में गिरावट आई है, जिससे बागवानों को लागत मूल्य भी प्राप्त नहीं हो पा रहा है.

इस संदर्भ में संगठन ने सरकार से तुर्की से सेब के आयात पर तत्काल पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है. इसके साथ ही, अन्य देशों से आयातित सेब पर ‘न्यूनतम आयात मूल्य’ (एमआईपी) लागू करने की मांग भी की गई है. इसके अलावा, आयातित सेबों के लिए कठोर क्वालिटी और फाइटोसेनेटरी मानक निर्धारित करने, हिमालयी राज्यों के लिए एक विशेष बागवानी संरक्षण नीति बनाने और सेब उत्पादक किसानों को समर्थन मूल्य या प्रत्यक्ष आय सहायता प्रदान करने की मांग भी शामिल है.

संगठन ने यह भी चेतावनी दी कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो देश के पारंपरिक सेब उत्पादक क्षेत्र गंभीर संकट का सामना कर सकते हैं.

बता दें कि फरवरी 2023 में तुर्की में आए महाविनाशकारी भूकंप के बाद भारत मदद करने वाले पहले देशों में से एक था. इस दौरान भारत की ओर से ‘ऑपरेशन दोस्त’ चलाकर तुर्की के लोगों की मदद की गई थी.

‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत भारत ने तुर्की में जाकर न केवल लोगों को बचाया था, बल्कि बड़ी तादाद में राहत सामग्री भेजी थी.

डीएससी/एबीएम