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नोएडा, 15 नवंबर . दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) एक बार फिर घने प्रदूषण की चपेट में है. Saturday सुबह भी वायु गुणवत्ता बेहद खराब से लेकर गंभीर श्रेणी में बनी हुई है.
स्थिति इतनी भयावह है कि पूरा क्षेत्र धीरे-धीरे एक “गैस चैंबर” में तब्दील होता जा रहा है. वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 के पास पहुंचने को तैयार है, जो सर्वाधिक प्रदूषण स्तर को दर्शाता है.
रिपोर्टों के मुताबिक, एनसीआर के विभिन्न शहरों में प्रदूषण का स्तर चिंताजनक बना हुआ है. गाजियाबाद के इंदिरापुरम, लोनी, संजय नगर और वसुंधरा जैसे इलाकों में वायु गुणवत्ता “गंभीर” श्रेणी में दर्ज की गई है. इसी तरह नोएडा के सेक्टर-116 में एक्यूआई 413 तक पहुँच गया है, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है.
सेक्टर-125, सेक्टर-62 और सेक्टर-1 जैसे अन्य इलाकों में भी हवा की गुणवत्ता “बहुत खराब” से “गंभीर” के बीच दर्ज की गई है. ग्रेटर नोएडा में भी हालात कुछ बेहतर नहीं हैं, जहाँ नॉलेज पार्क-III और नॉलेज पार्क-V के इलाकों में वायु गुणवत्ता गंभीर बनी हुई है. राजधानी दिल्ली के विभिन्न हिस्से भी इस जहरीली हवा से अछूते नहीं हैं.
आंकड़ों के अनुसार, आनंद विहार (424), आश्रम विहार (415), बवाना (441), चांदनी चौक (419) और वजीरपुर जैसे इलाकों में एक्यूआई “गंभीर” स्तर पर दर्ज किया गया है. पूसा, आर के पुरम, रोहिणी, शादीपुर और विवेक विहार जैसे इलाकों में हवा की गुणवत्ता “बहुत खराब” श्रेणी में है.
यह स्थिति दर्शाती है कि पूरा शहर जहरीली हवा के घने आवरण में लिपटा हुआ है. इस गंभीर वायु प्रदूषण का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. “बहुत खराब” वायु गुणवत्ता लंबे समय तक रहने पर सांस संबंधी बीमारियों का कारण बन सकती है. वहीं, “गंभीर” श्रेणी की हवा स्वस्थ लोगों को भी प्रभावित करती है और पहले से बीमार लोगों की सेहत पर इसका गंभीर असर पड़ता है.
इसका नतीजा यह है कि एनसीआर के अस्पतालों में सांस की तकलीफ, अस्थमा, एलर्जी और आंखों में जलन जैसी शिकायतों के साथ पहुंचने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा देखा जा रहा है. डॉक्टर बुजुर्गों, बच्चों और हृदय रोगियों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं.
मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि अगले कुछ दिनों में न्यूनतम तापमान 10-11 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान 25-26 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है. हवा की रफ्तार धीमी रहने और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण प्रदूषक तत्व हवा में जमा होते जा रहे हैं, जिससे स्थिति और गंभीर हो रही है.
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पीकेटी/एएस