नई दिल्ली, 5 जनवरी . दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के लिए रोजगार के अवसर देने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है.
इस निर्णय के तहत उन्होंने सरकारी सेवा में मल्टी-टास्किंग स्टाफ (एमटीएस) के पदों के लिए 55 वर्ष तक की आयु के आवेदकों को शैक्षिक योग्यता और आयु संबंधी पूरी छूट देने की मंजूरी दी है. इस फैसले से 88 आवेदकों को लाभ मिलने की संभावना है, जो पहले इन मानदंडों को पूरा करने में सक्षम नहीं थे.
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने जनप्रतिनिधियों और पीड़ित समूहों के साथ मिलकर हाल ही में हुई बैठकों के दौरान एलजी को इस मामले में कई याचिकाएं सौंपी थी.
यह पहल 16 जनवरी 2006 को भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा स्वीकृत पुनर्वास पैकेज से शुरू हुई थी, जिसका उद्देश्य 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करना था. इस पैकेज के तहत, दंगा पीड़ितों को नौकरियों के लिए विशेष अवसर दिए गए थे. एक विशेष पहल के माध्यम से राजस्व विभाग ने 72 आवेदन एकत्र किए, जिनमें से 22 उम्मीदवारों ने तत्कालीन एलजी से आयु में छूट मिलने के बाद नियुक्तियां दी गई.
अक्टूबर 2024 में दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने इन बाकी 50 आवेदकों के लिए शैक्षिक योग्यता में पूरी छूट देने का फैसला किया. इस फैसले से यह सुनिश्चित हुआ कि सभी योग्य दंगा पीड़ितों को रोजगार के अवसर मिलें, चाहे उनकी शैक्षिक योग्यता या उम्र किसी भी कारण से मानदंडों के अनुरूप न हो.
इन निर्देशों का पालन करते हुए राजस्व विभाग ने 28 नवंबर 2024 से 30 नवंबर 2024 तक विशेष शिविर आयोजित किए और 1984 के सिख विरोधी दंगा पीड़ितों के परिवार के सदस्यों से आवेदन मांगने के लिए प्रमुख समाचार पत्रों में नोटिस प्रकाशित किए. उन्हें 199 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 89 उम्मीदवार योग्य थे, हालांकि सभी आयु आवश्यकता से अधिक थे और कुछ के पास आवश्यक शैक्षणिक योग्यता नहीं थी. इन छूटों के लिए एलजी से मंजूरी मिलने के बाद सरकारी सेवा में एमटीएस पदों के लिए 88 आवेदकों के लिए बाधाएं दूर हो जाएंगी.
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एकेएस/