दिसंबर 2024 से कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पाएगी दिल्ली सरकार : वीरेंद्र सचदेवा

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर . एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिल्ली सरकार घाटे में आ गई है. राज्य में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी ने दावा किया है कि यदि यही हाल रहा तो दिसंबर में वह अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पाएगी.

दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने गुरुवार को से कहा, “1994-95 में मदन लाल खुराना ने दिल्ली का पहला सरप्लस बजट पेश किया था. तब से लेकर अब तक दिल्ली की वित्तीय स्थिति ठीक थी. लेकिन सवाल यह उठता है कि उच्च राजस्व होने के बावजूद दिल्ली सरकार सात हजार करोड़ रुपये के घाटे वाला बजट क्यों पेश कर रही है.

“इसका जवाब भ्रष्टाचार, लूट और चोरी में ही छिपा है. दिल्ली सरकार चल रही परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में विफल हो रही है. इसलिए मैं दिल्ली सरकार से आग्रह करता हूं कि वह जागे और कर्मचारियों के वेतन का प्रबंध करे, अपने राजस्व संबंधी मुद्दों को सुधारे और अपने वित्तीय प्रबंधन को सुधारे.”

दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, “भाजपा को भाजपा शासित प्रदेशों की चिंता करनी चाहिए.”

इस पर वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “हम तो दिल्ली में पैदा हुए हैं. इसलिए दिल्ली की चिंता करते हैं. केजरीवाल और आप (सौरभ भारद्वाज) कहां से आए हैं?”

सचदेवा ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट शेयर किया. उन्होंने लिखा, “अरविंद केजरीवाल कहते थे कि उनकी सरकार का बजट ‘सरप्लस बजट’ है; इसी कथन की आड़ में वह बिना नए आर्थिक संसाधन जुटाए नई योजनाएं लाते रहे.”

भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल के 10 साल के आर्थिक कुप्रबंधन का परिणाम है कि 2024-25 का बजट दिल्ली के इतिहास का पहला घाटे का बजट बन चुका है. वित्तीय स्थिति इतनी खराब हो चुकी है कि संभवतः दिसंबर 2024 से दिल्ली सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पाएगी, केजरीवाल सरकार के बजट के घाटे में जाने का मुख्य कारण है बिना आर्थिक संसाधन जुटाए योजनाओं को लागू कर देना, और उन योजनाबद्ध कार्यों को बजट में शामिल करने के बावजूद उनके लिए समयबद्ध राजस्व का प्रबंध न करना.

उन्होंने कहा कि आप की केजरीवाल सरकार ने अपने 10 साल सत्ता संघर्ष की भेंट चढ़ा दिए और आज दिल्ली को ऐसे आर्थिक संकट में धकेल दिया है जहां विकास तो ठप हो ही गया है, अब जनहित की योजनाएं भी रुकती नजर आ रही हैं.

डीकेएम/एकेजे