New Delhi, 18 जुलाई . गांधी मंडेला फाउंडेशन ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपिता और विश्व मानवाधिकार के प्रतीक नेल्सन मंडेला की 107वीं जयंती के उपलक्ष्य में “मंडेला दिवस” का आयोजन Friday को सत्याग्रह मंडप, गांधी दर्शन एवं गांधी स्मृति, राजघाट, New Delhi में किया. इस अवसर पर अनेक देशों के राजदूतों, प्रतिष्ठित वक्ताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं एवं सामाजिक नेताओं की गरिमामयी उपस्थिति रही. कार्यक्रम में भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति के.जी. बालकृष्णन मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. वह गांधी मंडेला फाउंडेशन (जीएमएफ) के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष भी हैं.
कार्यक्रम का शुभारंभ नेल्सन मंडेला के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया. गांधी मंडेला फाउंडेशन के संस्थापक एवं महासचिव अधिवक्ता नंदन झा ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत करते हुए फाउंडेशन की गतिविधियों, उद्देश्यों और वैश्विक प्रयासों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि फाउंडेशन महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला के सिद्धांतों- जैसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता, नागरिक अधिकार, सत्य, अहिंसा और मानव कल्याण को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देता है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि वो अपने जीवन का तीन दशक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ में गुजारा.
उन्होंने यह भी बताया कि गांधी मंडेला पुरस्कार एक अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त सम्मान है, जो विश्वभर में शांति, अहिंसा और सामाजिक कल्याण के लिए कार्य कर रहे नेताओं को प्रदान किया जाता है. इस पुरस्कार से अब तक तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा और नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मानवाधिकार कार्यकर्ता रिगोबर्टा मंचू तुम को सम्मानित किया जा चुका है.
नेल्सन मंडेला दिवस का आयोजन दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति और वैश्विक शांति के प्रतीक नेल्सन मंडेला की जयंती के उपलक्ष्य में किया गया. इस दिन को मनाने का उद्देश्य नेल्सन मंडेला के मूल्यों जैसे समानता, भाईचारा और मानवाधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करना है. कार्यक्रम में वक्ताओं ने मंडेला के जीवन और उनके संघर्षों पर प्रकाश डाला, जिन्होंने रंगभेद के खिलाफ लड़ाई लड़ी और विश्व में शांति स्थापना के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया.
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के उपाध्यक्ष विजय गोयल ने अपने विचार रखते हुए कहा कि मंडेला हमारे समय से दूर होते हुए भी विचारों के रूप में हमारे बहुत पास हैं. उन्होंने मंडेला के संघर्ष को व्यक्तिगत प्रेरणा बताते हुए उन्हें समस्त मानवता का प्रतीक कहा.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संपर्क विभाग के प्रमुख राम लाल ने मंडेला के नेतृत्व और मार्गदर्शन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने दुनिया को एक नया रास्ता दिखाया, जो स्वतंत्रता, समानता और न्याय की ओर अग्रसर करता है. मंडेला के व्यक्तित्व ने नस्लभेद के बाद भी शांति और सौहार्द को बनाए रखा, जो उनकी महानता का परिचायक है.
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एवं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति के. जी. बालाकृष्णन (जूरी अध्यक्ष, गांधी मंडेला पुरस्कार) ने कहा, “नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी दो ऐसे स्तंभ हैं जिनकी शिक्षाएं आज भी विश्व के सामाजिक और नैतिक मूल्यों को दिशा देती हैं. हम उनकी विरासत को नमन करते हैं.”
डॉ. ओबिजियोफोर एजीनाम, निदेशक, यूनेस्को एमजीआईईपी ने कहा कि मंडेला का संपूर्ण जीवन न्याय, समानता और मानवाधिकारों के लिए समर्पित रहा. उन्होंने मंडेला दिवस के इस आयोजन में शामिल होकर गौरव का अनुभव किया.
कार्यक्रम में शामिल सभी अतिथियों ने मंडेला के शांति और मानवता के संदेश को दुनिया भर में फैलाने की प्रतिबद्धता जताई. समारोह के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन गांधी मंडेला फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्याम जाजू ने किया.
नोट:- संपादक इस खबर के संपादन के समय त्रुटिवश कुछ जानकारी जो अपुष्ट थी वह संपादित हो गई थी…उसके लिए खेद है…ऐसे में नई जानकारी के साथ एक कॉपी डाली गई है…उसी का इस्तेमाल करें…..
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जीकेटी