नई दिल्ली, 23 जनवरी . दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिहाज से हर विधानसभा सीट की अपनी एक अलग खासियत है. लेकिन, अगर मुस्तफाबाद सीट की बात करें, तो यहां का राजनीतिक इतिहास अपेक्षाकृत छोटा है. यह सीट 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. यह पहले करावल नगर विधानसभा सीट का हिस्सा थी. मौजूदा समय में यह नॉर्थ ईस्ट दिल्ली का हिस्सा है. यहां मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या अधिक है. ऐस में यहां से हमेशा मुस्लिम प्रत्याशी के ही जीतने की संभावना बनी रहती है.
वहीं, अगर इस सीट के अब तक के राजनीतिक इतिहास की बात करें, तो 2008 के विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया था. इस सीट पर कांग्रेस के हसन अहमद ने भाजपा के योगेंद्र कुमार शर्मा को हार का मुंह दिखाया था.
इसके बाद 2013 के विधानसभा चुनाव में यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय हुआ. इस चुनाव में मुख्य रूप से आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला था. आम आदमी पार्टी की एंट्री की वजह से कांग्रेस को राजनीतिक मोर्चे पर काफी नुकसान का सामना करना पड़ा था. लेकिन, अंत में यहां की जनता ने कांग्रेस का ही हाथ थामा था. इस चुनाव में कांग्रेस के हसन अहमद ने भाजपा प्रत्याशी जगदीश प्रधान को पराजित करके अपनी जीत का झंडा बुलंद किया था.
उधर, 2015 के विधानसभा चुनाव में भी मुकाबला सत्ताधारी दल आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस के बीच देखने को मिला था. लेकिन, इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को जिन तीन सीटों पर हार का मुंह देखना था, उसमें से एक मुस्तफाबाद सीट भी शामिल है. लेकिन, 2020 के विधानसभा चुनाव में यहां की राजनीतिक स्थिति बदली और इस बार आम आदमी पार्टी के हाजी यूनुस जीत का परचम लहराने में सफल रहे.
वहीं, 2025 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इस सीट से मोहन सिंह बिष्ट को यहां से टिकट दिया है और आम आदमी पार्टी ने आदिल अहमद को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने यहां से पूर्व विधायक हसन अहमद के बेटे अली अहमद पर भरोसा जताया है.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, मुस्तफाबाद विधानसभा सीट पर पुरुष मतदाताओं की संख्या 155706, महिला मतदाताओं की संख्या 133193, थर्ड जेंडर 3 और कुल मतदाताओं की संख्या 288902 है.
बता दें कि दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर पांच फरवरी को मतदान होने जा रहे हैं और नतीजों की घोषणा आठ फरवरी को होगी.
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