रायबरेली, अमेठी में उम्मीदवारों की घोषणा में देरी हमारी रणनीति का हिस्सा : अविनाश पांडे (आईएएनएस साक्षात्कार)

लखनऊ, 6 अप्रैल . उत्तर प्रदेश में अपने अस्तित्व से जूझ रही कांग्रेस ने पार्टी में फिर से जान डालने के लिए पूर्व राज्यसभा सांसद अविनाश पांडे को यूपी का प्रभारी बनाया है. पार्टी में विश्वास को बनाये रखने के लिए कांग्रेस ने सपा से गठबंधन किया है. अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर इंडिया गठबंधन के कुनबे को बढ़ा भी रहे हैं. अविनाश पांडे रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार घोषित करने में हो रही देरी को पार्टी की रणनीति बता रहे हैं.

ने उनसे चुनाव के हर मुद्दे पर विस्तृत बातचीत की. पेश है बातचीत के कुछ अंश :

सवाल : उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की क्या तैयारी है? आगे की रणनीति क्या है?

उत्तर : लोकसभा को लेकर यूपी में कांग्रेस की तैयारी बहुत पहले से चल रही है. उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा सीटों में इंडिया गंठबंधन के उम्मीदवार हैं. इंडिया गठबंधन के सभी घटक दलों ने मिलकर उम्मीदवारों की जीत और भाजपा को शिकस्त देने के लिए कमर कस रखी है. इस चुनाव को हम मजबूती से लड़ने जा रहे हैं.

सवाल : रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार को लेकर संशय अभी भी बरकरार है. देरी के कारण कार्यकर्ताओं का उत्साह कम हो रहा है.

उत्तर : कार्यकर्ताओं में इस प्रकार का कोई संशय नहीं है. कांग्रेस में उत्साह है. संगठन भी पूर्ण रूप से तैयार है. प्रत्याशियों की घोषणा पार्टी की नीति के तहत ही उचित वक्त पर होनी है. रायबरेली और अमेठी में उम्मीदवार की घोषणा में हो रही देरी कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा है.

सवाल : क्या गांधी परिवार से ही इन दोनों सीटों पर उम्मीदवार होंगे?

उत्तर : जल्दी ही इसके बारे में निर्णय सामने आ जायेगा. आपको भी सूचित करेंगे.

सवाल : भाजपा बार-बार कह रही है अमेठी से आप लोग डरकर भाग गए.

उत्तर : भाजपा पहले अपने प्रश्नों का उत्तर दे कि अगर वह 400 पार का नारा देकर संतुष्ट है, तो क्यों डर रही है. चुनकर आई हुई सरकारों को क्यों गिराने का प्रयत्न कर रही है? क्यों मुख्यमंत्रियों को जेल भेज रहे हैं? आरोप सिद्ध होने के बाद ऐसा करते. ईडी, सीबीआई व अन्य संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है. जनता इस बार इन्हें सत्ता से बेदखल करने जा रही है. इस कारण हताश हैं.

सवाल : बार-बार राहुल और प्रियंका टीम में विवाद की चर्चा बहुत होती है. क्या दोनों में समन्वय नहीं है?

उत्तर : दोनों में समन्वय है. अभी विरोधी हवा बना रहे हैं. इसमें कोई सच्चाई नहीं है. राहुल गांधी, प्रियंका जी और सोनिया जी के साथ गांधी परिवार के योगदान को यह देश भुला नहीं सकता. स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर राष्ट्र निर्माण में भी इस परिवार का योगदान है. भाजपा या अन्य दलों में ऐसा कोई भी उदाहरण नहीं है.

सवाल : अब तक आपके कुल कितने प्रत्याशी मैदान में हैं. अभी कितनी सीटें घोषित होनी हैं?

उत्तर : 80 लोकसभा सीटों में से 17 सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव में उतरने हैं. हमने 13 नामों की घोषणा कर दी है. दो-एक प्रत्याशी की घोषणा आज-कल में हो जाएगी. शेष पर गठबंधन के अन्य दलों के प्रत्याशी चुनाव मैदान में होंगे. घटक दलों से समन्वय स्थापित कर उनके नामों को घोषित किया जाना है. 2024 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में हम अधिकांश सीटों पर जीत हासिल करेंगे.

सवाल : सपा और कांग्रेस के साझा प्रोग्राम कब से सामने आएंगे? क्या रणनीति बनी है?

उत्तर : एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम है. इंडिया गठबंधन उसके अनुरूप कार्य करेगा. फाइनल स्वरूप दिया जा रहा है. कांग्रेस मैनिफेस्टो की घोषणा हो चुकी है. उसी घोषणा के अनुरूप राज्य स्तरीय मुद्दे शामिल हैं. उसी को लेकर हम जनता के बीच जाएंगे. सहयोगी दल भी हमारे साथ इसे जन जन तक पहुंचाने में हमारा सहयोग करेंगे.

सवाल : राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल दल धीरे धीरे अलग होकर चुनाव लड़ रहे हैं. क्या कहेंगे?

उत्तर : कोई भी ऐसा दल नहीं है जिसने समर्थन जाहिर किया और अलग से चुनाव लड़ रहा है. इंडिविजुअल कोई एक हो सकता है. लेकिन उन्हें स्वयं इसकी चिंता करनी है कि संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करने वाली ताकतों को किसी भी प्रकार का बल न मिले. उनके खिलाफ ही इंडिया गठबंधन गठित हुआ. इस प्रकार का कृत्य शायद, भाजपा को मजबूती प्रदान करने वाला है. उन्हें विचार करने की जरूरत है.

सवाल : पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्या के बारे में क्या कहेंगे?

उत्तर : पल्लवी पटेल से बातचीत जारी है. मुंबई की मीटिंग में भी वह उपस्थित थीं. गठबंधन छोड़ने की सोचने जैसी गतिविधि भी दुर्भाग्यपूर्ण है. हर छोटी ताकत को बड़ी ताकत से मिलने के बाद ही मजबूती मिल सकती है. अभी की हालत यह है कि पूरे देश में तानाशाही का रवैया है. उससे मुकाबला और संविधान की रक्षा करने के लिए सबको मिलकर सामना करना होगा.

सवाल : सपा और कांग्रेस में तो समन्वय नहीं दिख रहा है. साथ में न कोई रैली हुई और न ही कोई बड़ा कार्यक्रम. होली मिलन कार्यक्रम में भी आप एक साथ नहीं दिखे.

उत्तर : यह कार्यक्रम उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमिटी द्वारा आयोजित हुआ था. हमारे पदाधिकारियों, वरिष्ठ नेताओं और फ्रंटल ऑर्गनाइजेशंस का मिलन था. मित्र दलों को भी आमंत्रित किया गया था. अधिकांश यहां उपस्थित रहे. हमने आज ही रोजा-इफ्तार रखा है. हमारे जमात, समुदाय व कांग्रेस से जुड़े अन्य सामाजिक नेता भी शरीक होने जा रहे हैं. इसको राजनीतिक स्वरूप देने की आवश्यकता नहीं है. यह एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है.

सवाल : क्या बसपा से अभी भी कुछ उम्मीदें बाकी हैं?

उत्तर : इंडिया गठबंधन में उनके लिए कल भी दरवाजा खुला था और आज भी. मायावती जी, एक वरिष्ठ और परिपक्व राजनेता रही हैं. उत्तर प्रदेश ने इसको देखा है. कांशीराम जी और मायावती जी ने लंबा संघर्ष किया है. एक समुदाय के उत्थान में इनका योगदान है. गांधी जी ने भी इसका स्वप्न देखा था. इंडिया गठबंधन में कल भी उनकी (मायावती) आवश्यकता थी, आज भी है.

सवाल : मुख़्तार अंसारी की डेथ को आपकी पार्टी किस रूप में देख रही है?

उत्तर : बहुत दुखद घटना है. क्या समय आ गया है. परिवार के लोगों को अब शंका होने लगी है. जब उनके परिवार ने शंका जताई है तो इसकी जांच होनी चाहिए. उनके साथ में गलत हुआ है.

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