‘जो जीता वही सिकंदर’ में पागलों की तरह साइकिल चलाने के लिए किया गया मजबूर : दीपक तिजोरी

नई दिल्ली, 9 मई . आमिर खान स्टारर फिल्म ‘जो जीता वही सिकंदर’ को 22 मई को हिंदी सिनेमा में 32 साल पूरे हो जाएंगे. इस मौके पर एक्टर दीपक तिजोरी ने पुराने दिनों को याद किया और बताया कि कैसे उन्हें इस फिल्म के लिए पागलों की तरह साइकिल चलाने के लिए मजबूर किया गया था.

फिल्म में शेखर मल्होत्रा की भूमिका निभाने वाले दीपक ने अपनी यादें साझा करते हुए से कहा, “यह मेरे लिए एक नई शैली, एक नई सोच, एक नया सबजेक्ट और नया सेटअप था. मंसूर खान (निर्देशक) की काम करने की शैली बेहद अनोखी थी.”

दीपक ने आगे कहा, ”आमिर को मैं पहले से जानता था, इसलिए यह किसी स्टार के साथ काम करने वाली बात बिल्कुल भी नहीं थी. आमिर और मैं एक ही कॉलेज के सीनियर-जूनियर थे और हमने पहले भी साथ काम किया था, जहां मैंने उनके दोस्त के रूप में एक छोटी भूमिका निभाई थी.”

दीपक ने फिल्म में आमिर के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करते हुए अपने कॉलेज के एक स्पोर्ट्स चैंपियन की भूमिका निभाई, जिसमें पूजा बेदी और आयशा जुल्का भी हैं.

उन्होंने कहा, ”मुझसे डाइटिंग और ऐसी चीजें नहीं कर रहा था, लेकिन हां, मुझे पागलों की तरह साइकिल चलाने के लिए मजबूर किया गया था. मेरे अंदर स्पोर्ट्समैन की कोई भावना नहीं थी, मैंने कुछ नेशनल चैंपियनों से ट्रेनिंग ली, जो कंटेस्टेंट के रूप में हमारे साथ रेस में थे. मुझे वह पहला दिन याद है जब आमिर, मंसूर खान और सभी नेशनल साइकिलिस्ट मेरी परफॉर्मेंस को देखकर चौंक गए थे.”

आमिर खान का आभार जताते हुए दीपक ने कहा, ” ‘जो जीता वही सिकंदर’ के लिए धन्यवाद. मुझे एक एक्टर के रूप में एक नया किरदार मिला, जो ‘द शेखर मल्होत्रा’ बन गया, जिसे आज भी याद किया जाता है. मंसूर को मेरी सिफारिश करने के लिए आमिर को धन्यवाद.”

दीपक ने निर्देशक मंसूर से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा बताया. उन्होंने कहा, “मुझे याद है कि मामिक सिंह (‘जो जीता वही सिकंदर’ में आमिर के बड़े भाई) के साथ अपने फाइट सीन के लिए शूटिंग पर जाने से पहले की एक शाम मंसूर ने आमिर और मुझे अपने कमरे में बुलाया.

“हमें बताया कि कल मामिक की दीपक के साथ लड़ाई का सीक्वेंस है. उन्होंने आमिर से पूछा कि आपकी राय में क्या होना चाहिए, यह एकतरफा लड़ाई होनी चाहिए, जहां दीपक की पिटाई होती है, या फिर मामिक और दीपक एक-दूसरे को बराबर टक्कर देते हैं, या आप क्या सोचते हैं.”

निर्देशक की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने कहा कि मंसूर में अहंकार नहीं है, बहुत ही स्वाभाविक और विचारशील व्यक्ति हैं.

पीके/एकेजे