नई दिल्ली, 13 नवंबर . तीन दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी मुठ्ठी से रेत की तरह समय गुजरा नहीं है, बच्चों के पास वक्त है सैंटा क्लॉज को चिट्ठी लिखने का. उन्नीसवीं सदी में नींव पड़ी. 10 नवंबर से शुरू हुआ डियर सैंटा लेटर वीक 16 फरवरी को समाप्त हो जाएगा. क्यों मनाया जाता है ये आखिर इसका इतिहास क्या है, कैसे एक छोटी सी कोशिश ने हजारों बच्चों की ख्वाहिशों को पूरा करने का काम किया, एक छोटी सी कोशिश की बड़ी से कहानी है सैंटा क्लॉज को चिट्ठी लिखने वाला वीक!
भारत में तो कम लेकिन यूरोप और अमेरिका में तो क्या बच्चे, क्या बड़े और क्या बुजुर्ग सभी खतों के जरिए अपनी बात सैंटा तक पहुंचाते हैं. हर साल, डियर सैंटा लेटर वीक के दौरान, बच्चे और वयस्क समान रूप से बूढ़े एल्फ को व्यक्तिगत संदेश लिखने के लिए कलम उठाते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय डियर सैंटा लेटर वीक की लोकप्रियता कुछ साल में तेजी से बढ़ी है. मूल रूप से, सांता क्लॉज को पत्र भेजने की प्रथा 19वीं शताब्दी के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में लोकप्रिय हुई, जो थॉमस नास्ट के इलेस्ट्रेशन से काफी प्रभावित थी. ये बेहद मनमोहक था इसलिए क्योंकि सैंटा बच्चों और उनके माता-पिता के पत्र पढ़ते हुए दिखाए गए थे.
इन पिक्चर्स ने सैंटा को एक ‘डियर क्रिसमस मैन’ बना दिया और नॉर्दन पोल को उनके आधिकारिक आवास के रूप में स्थापित कर दिया. बच्चों को एक एड्रेस मिल गया अपने दिल की बात उन तक पहुंचाने का.
इस दिन को औपचारिक मान्यता 20वीं शताब्दी की शुरुआत में मिली. 1912 में, पोस्टमास्टर जनरल फ्रैंक हिचकॉक ने पोस्टमास्टर्स की टीम को एक प्यार भरा काम सौंपा. उन्हें बच्चों के पत्रों का जवाब देने के लिए अधिकृत किया और इस प्रथा ने आकार ले लिया.
1940 के दशक तक, खतों की संख्या इतनी बढ़ गई कि यू.एस. डाक सेवा ने धर्मार्थ संगठनों और सामुदायिक समूहों को सांता क्लॉज की ओर से पत्रों का जवाब देने की अनुमति देना शुरू कर दिया. धीरे धीरे इसने एक मूवमेंट का रूप ले लिया और कुछ एनजीओ ने पत्रों को समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाया और इनाम दे प्रोत्साहित भी किया.
यह पहल एक व्यापक आंदोलन का हिस्सा थी, जहां समाचार पत्रों और धर्मार्थ संगठनों ने बच्चों के पत्रों को प्रकाशित करवाया. फिर समुदाय के सदस्यों को उपहार भेजने के लिए प्रोत्साहित करके उनकी क्रिसमस से जुड़ी इच्छाओं को पूरा करने में मदद की.
डियर सांता लेटर वीक का उद्देश्य सरल लेकिन गहरा है. यह सभी को, खासकर बच्चों को, अपनी छुट्टियों की इच्छाओं और उम्मीदों को व्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित करता है.
यह परंपरा रचनात्मकता को बढ़ावा देती है. अपने किसी खास को दिल की बात बताने के लिए उकसाती है और रिश्तों को सहेजने में मदद करती है.
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केआर/