पणजी, 4 मार्च . गोवा के एक मुर्दाघर के लिए दो नाइजीरियन के शव सिरदर्द बन चुके हैं, उसे 2016 से 2019 के बीच संरक्षित किया गया था.
हाल ही में गोवा में दो मुर्दाघरों (उत्तर और दक्षिण) को 75 शवों के निस्तारण के बाद राहत मिली. हालांकि, उत्तरी गोवा का एक मुर्दाघर पिछले कई वर्षों से विदेशियों के कब्जे वाले दो डिब्बों को खाली करने की प्रक्रिया का इंतजार कर रहा है.
गोवा मेडिकल कॉलेज के सूत्रों ने बताया कि उत्तर में लगभग 72 और दक्षिण गोवा के मुर्दाघर में 32 शव थे, जिनमें से क्रमशः लगभग 58 और 17 का जिला कलेक्टरों की हस्तक्षेप के बाद हाल ही में निपटान किया गया था.
हालिया निपटान के बाद जीएमसी में 14 शव हैं, जबकि 15 शव दक्षिण गोवा जिला अस्पताल में हैं.
जीएमसी के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा, “हमारी ओर से संबंधित अधिकारियों को सूचित करते रहते हैं कि हम केवल इन शवों के संरक्षक हैं. इन शवों के निपटान के लिए कलेक्टर कार्यालय द्वारा औपचारिकताएं पूरी की जानी है.”
डॉक्टर ने कहा, “विदेशियों के दो शव हैं, जिनकी क्रमशः 2016 और 2019 में जेल में मृत्यु हो गई थी. मुझे नहीं पता कि उनके दूतावासों से संपर्क करने और शवों को परिवारों को सौंपने में देरी क्यों हो रही है. आईजीपी जेल को मामले का संज्ञान लेना चाहिए और प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए.”
सूत्रों ने कहा कि ये शव नाइजीरियाई लोगों के हैं, जिन्होंने भारत में प्रवेश करने के लिए झूठे पासपोर्ट का इस्तेमाल किया था. अब पुलिस के लिए भी उनके संपर्कों का पता लगाना एक समस्या बन गई है.
एक शव 21 दिसंबर, 2016 को और दूसरा 1 जनवरी, 2019 को संरक्षित किया गया था. दोनों संभवतः नाइजीरिया के थे. डॉक्टर ने आगे कहा, “ऐसी लाशें हमारे लिए सिरदर्द बन जाती हैं.”
आईजीपी ओमवीर सिंह बिश्नोई ने से बात करते हुए कहा कि इन शवों की पहचान कर ली गई है. पुलिस इन शवों को उनके परिवारों को सौंपने की प्रक्रिया में है.
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एसएचके/एबीएम