रांची/New Delhi, 3 सितंबर . Jharkhand में साइबर फ्रॉड की बड़ी वारदात का आरोपी एक नाइजीरियाई नागरिक हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद India छोड़कर भाग गया. Supreme court ने इससे जुड़े मामले में Jharkhand Government की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर गंभीर चिंता जताई है कि India में आपराधिक वारदात अंजाम देने वाले विदेशी नागरिक अक्सर अदालत से बेल मिलने के बाद देश छोड़कर भाग जाते हैं.
जस्टिस दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने Jharkhand Government की याचिका पर नाइजीरियाई नागरिक की जमानत रद्द कर दी. हालांकि नाइजीरिया के साथ प्रत्यर्पण संधि न होने की वजह से India Government ने उसे फिलहाल वापस लाने में असमर्थता जताई है. इसपर Supreme court ने याचिका का निष्पादित करते हुए केंद्र Government को सुझाव दिया कि वह ऐसे कदम उठाए कि India में अपराध के आरोपी विदेशी नागरिक बेल मिलने के बाद भागकर मुकदमे से बच न सकें.
न्यायालय ने कहा कि India की आपराधिक न्याय प्रणाली की अखंडता बनाए रखने के लिए जरूरी है. नाइजीरियाई नागरिक को Jharkhand Police ने 2019 में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 419, 420, 467, 468, 471, 120बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी के तहत गिरफ्तार किया था. उसपर गिरिडीह निवासी कारोबारी निर्मल झुनझुनवाला से साइबर फ्रॉड के जरिए 80 लाख रुपए की ठगी का आरोप था.
गिरफ्तारी के बाद दो साल से अधिक समय तक वह Jharkhand की जेल में रहा. Jharkhand हाईकोर्ट ने 13 मई, 2022 को उसे जमानत दी थी, लेकिन वह जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर नाइजीरिया भाग गया. इसके बाद राज्य ने Supreme court से उसकी बेल रद्द करने का आवेदन किया.
Supreme court ने इस बढ़ती प्रवृत्ति पर पहले भी नवंबर 2024 में चिंता जताई थी कि साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में विदेशी नागरिक जमानत मिलने के बाद देश छोड़ देते हैं. न्यायालय ने कहा कि स्पष्ट कानूनी प्रक्रिया या नीति के अभाव में भारतीय प्राधिकरण असहाय रहते हैं, खासकर उन देशों में जहां India की प्रत्यर्पण संधि नहीं है.
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एसएनसी/एएस