नई दिल्ली, 2 सितंबर . प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने खुलासा किया है कि कैसे साइबर अपराधियों ने नए निवेशकों को अपने जाल में फंसाया और उन्हें 25 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया.
ईडी की एक टीम ने पिछले महीने साइबर निवेश धोखाधड़ी रैकेट पर कार्रवाई की थी. नए और संभावित निवेशकों को शेयर बाजार में लाने और उनकी संपत्ति हड़पने के आरोप में बेंगलुरु से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया था.
ईडी के अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार किए गए चार लोगों में साइबर निवेश घोटाले से संबंधित मामले में शशि कुमार एम. (25), सचिन एम. (26), किरण एस.के. (25) और चरण राज सी. (26) शामिल हैं.
कई स्थानों पर सिलसिलेवार तलाशी और छापेमारी के बाद पिछले महीने गिरफ्तारियां की गईं. ईडी टीम ने छापेमारी के दौरान मोबाइल फोन और अन्य डिजिटल डिवाइस सहित विभिन्न आपत्तिजनक सामग्री जब्त की थी. अब तक, उसने साइबर निवेश घोटाले में 25 करोड़ रुपये से अधिक की अपराध आय का पता लगाया है.
इन साइबर अपराधियों की कार्यप्रणाली में भोले-भाले निवेशकों से संपर्क करना और उन्हें नकली और धोखाधड़ी वाले ऐप्स के माध्यम से शेयर बाजारों में निवेश करने के लिए प्रेरित करके उनकी मेहनत की कमाई को ठगना शामिल था. उनका संचालन भी किसी विशेष राज्य तक सीमित नहीं था, बल्कि उनका नेटवर्क कई क्षेत्रों तक फैला हुआ था.
हरियाणा के फरीदाबाद में, उनका शिकार एक व्यक्ति था जिसे फर्जी ऐप्स के माध्यम से शेयरों में निवेश करने के लिए प्रेरित करके घोटालेबाजों ने 7.59 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. पीड़ित ने फेसबुक यूज करते समय एक शेयर बाजार निवेश लिंक पर क्लिक किया था, जिसके बाद उसे आईसीआईसीआई आईआर टीम (57) नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया था.
नोएडा में एक व्यवसायी के साथ घोटालेबाजों ने 9.09 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की. उन्होंने उसे जीएफएसएल सिक्योरिटी ऑफिशियल स्टॉक सी 80 नामक एक व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा. उसे एक ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रेरित किया गया और ग्राहक सेवा द्वारा प्रदान किए गए विभिन्न बैंक खातों में 9.09 करोड़ रुपये स्थानांतरित करने के लिए कहा गया.
पंजाब के एक डॉक्टर को फेसबुक ब्राउज करते समय जीएफएसएल सिक्योरिटी नामक एक नकली ऐप डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करके 5.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की गई. इन साइबर निवेश धोखेबाजों की कार्यप्रणाली सामान्य रही. फेसबुक, व्हाट्सएप, टेलीग्राम और अन्य सहित सामान्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से पीड़ितों को लुभाया गया. उन इच्छुक निवेशकों को व्हाट्सएप/टेलीग्राम समूहों में जोड़ना और नकली नामों के साथ उन्हें उनकी वास्तविकता का विश्वास दिलाया गया. निवेशकों को अपना निवेश करने के लिए डाउनलोड और इंस्टॉल करने के लिए नकली ऐप्स के लिंक दिए गए.
ऐप्स का नाम कंपनियों के नाम पर होता है, इससे यह लगता है कि वे असली हैं. फिर घोटालेबाज पीड़ितों को अपना पैसा शेल कंपनियों और फर्जी आईपीओ के बैंक खातों में निवेश करने के लिए कहते हैं. शुरुआत में निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलता है और एक बार विश्वास बन जाने के बाद, उनके पैसे का एक बड़ा हिस्सा किसी फर्जी फर्म को भेज दिया जाता है. वे वहां से पैसे नहीं निकाल पाते और फिर उन्हें कस्टमर केयर पर निर्भर रहना पड़ता है लेकिन इसका कोई फायदा नहीं होता.
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एसएम/एकेजे