माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस की क्रेडिट लागत में वित्त वर्ष 26 में आएगी कमी : रिपोर्ट

मुंबई, 9 अप्रैल . माइक्रोफाइनेंस इंस्टीट्यूशंस (एमएफआई) की क्रेडिट लागत में वित्त वर्ष 26 में कमी आने की उम्मीद है. इसकी वजह कलेक्शन में सुधार होना, बेहतर उधारकर्ता-ऋणदाता अनुशासन और प्रोविजन कवर में वृद्धि होना है. यह जानकारी एक रिपोर्ट में दी गई.

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया कि दिसंबर 2024 से नॉन-ओवरड्यू अकाउंट्स से कलेक्शन एफिशिएंसी में स्थिरता आई है. इसके अलावा गार्डरेल 1.0 के कार्यान्वयन के बाद शुरू हुई लोन बुक में पूरे पोर्टफोलियो की तुलना में अपेक्षाकृत बेहतर कलेक्शन देखा जा रहा है, जो उधारकर्ता और ऋणदाता दोनों स्तरों पर बेहतर अनुशासन का संकेत देता है.

रिपोर्ट में कहा गया कि एमएफआई द्वारा वित्त वर्ष 2025 की मार्च तिमाही में रणनीतिक रूप से अपने प्रोविजनिंग कवर को बढ़ाया जा सकता है, जिससे उनकी बैलेंस शीट मजबूत होगी और वित्त वर्ष 26 में प्रोविजनिंग कवर को सीमित किया जा सकेगा.

रिपोर्ट में दो प्रमुख निगरानी योग्य बातें भी बताई गई हैं. पहली, 1 अप्रैल, 2025 से गार्डरेल 2.0 के कार्यान्वयन के बाद ग्राहक अनुशासन पर नजर रखी जाएगी. दूसरी, उधारकर्ताओं द्वारा अध्यादेश की विभिन्न व्याख्याओं के प्रभाव के कारण कर्नाटक पोर्टफोलियो के संग्रह प्रदर्शन में निरंतर व्यवधान, वित्त वर्ष 2026 में रिकवरी को लंबा खींच सकता है.

क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक मालविका भोटिका ने कहा, “सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गेनाइजेशन (एसआरओ) द्वारा घोषित किए गए संग्रह प्रयासों और गार्डरेल्स में वृद्धि के साथ, पिछले 2-3 महीनों में नॉन-ओवरड्यू अकाउंट्स से कलेक्शन एफिशिएंसी ने लगभग 98-99 प्रतिशत पर स्थिर होने के संकेत दिखाए हैं.”

अधिकांश एमएफआई ने प्रोविजनिंग में मजबूत वृद्धि की है. स्टेज 3 ऋणों के लिए प्रोविजनिंग कवरेज 31 दिसंबर, 2024 तक 75 प्रतिशत तक बढ़ गया, जो 31 मार्च, 2024 तक लगभग 68 प्रतिशत था.

क्रिसिल रेटिंग्स का मानना ​​है कि एमएफआई वित्त वर्ष 2025 की अंतिम तिमाही में प्रोविजनिंग को तेजी से बढ़ा सकते हैं, जिससे वित्त वर्ष 2026 की शुरुआत में प्रोविजनिंग की संभावना कम हो जाती है.

एबीएस/