New Delhi, 20 अगस्त . केंद्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव ने कहा कि आयुर्वेद का चाइल्ड केयर सिस्टम बच्चों को स्वस्थ बनाने और ‘स्वस्थ बालक, स्वस्थ भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
प्रतापराव जाधव राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के 30वें राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे, जिसका विषय ‘आयुर्वेद के माध्यम से बच्चों में रोग प्रबंधन और स्वास्थ्य संवर्धन’ था.
दो दिवसीय इस सेमिनार में 500 से अधिक आयुर्वेद के विशेषज्ञ, शोधकर्ता, डॉक्टर्स और छात्रों ने हिस्सा लिया. इसका उद्देश्य बच्चों के लिए समग्र स्वास्थ्य देखभाल को बढ़ावा देना था.
जाधव ने अपने समापन संदेश में कहा, “आयुर्वेद की “कौमारभृत्य” शाखा बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने की बड़ी क्षमता रखती है. यह शाखा बच्चों की देखभाल के लिए तीन तरह के तरीकों को जोड़ती है, जिनमें निवारक या रोकथाम, संवर्धक या बच्चों को स्वस्थ और मजबूत बनाने के लिए पोषण और जीवनशैली पर ध्यान देना और बीमारियों का प्रभावी इलाज करना शामिल है. इससे बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर किया जा सकता है.”
प्रतापराव जाधव ने कहा, “पिछले दो दिनों में साझा की गए विचार और ज्ञान से नए रिसर्च और प्रैक्टिकल मॉडल को प्रेरणा मिलेगी, जो ‘स्वस्थ बालक, स्वस्थ भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेंगे.”
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस सेमिनार के परिणाम भारत के बच्चों के स्वास्थ्य ढांचे को और मजबूत करेंगे.
आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा, “यह सेमिनार बच्चों के स्वास्थ्य में आयुर्वेद की भूमिका पर चर्चा और ज्ञान साझा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ है. आयुर्वेद की प्रभावशीलता को साबित करने के लिए वैज्ञानिक शोध जरूरी है, ताकि इसे विश्वसनीय बनाया जा सके. इसके अलावा, आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा को मिलाकर बच्चों की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए विशेषज्ञों को एक साथ काम करना चाहिए. इससे आयुर्वेद की परंपरागत जानकारी को मॉडर्न साइंस के साथ जोड़कर बच्चों के लिए और प्रभावी स्वास्थ्य समाधान तैयार किए जा सकते हैं.”
आरएवी की निदेशक डॉ. वंदना सिरोहा ने अपने समापन भाषण में कहा कि सेमिनार की सफलता यह दिखाती है कि आरएवी आयुर्वेद के नए चिकित्सकों और शोधकर्ताओं को तैयार करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है.
दो दिवसीय सेमिनार में आयुर्वेद के जरिए बच्चों के स्वास्थ्य पर 20 वैज्ञानिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए. साथ ही, बच्चों में बीमारियों की रोकथाम और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने पर पैनल चर्चाएं हुईं.
सेमिनार का समापन इस सहमति के साथ हुआ कि आयुर्वेद की समग्र बाल चिकित्सा प्रथाओं को भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में मुख्यधारा का हिस्सा बनाना चाहिए. यह खासतौर पर बच्चों में जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों, पोषण की कमी और नई स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में मददगार होगा.
इस आयोजन ने आयुर्वेद को बच्चों के समग्र स्वास्थ्य की नींव के रूप में स्थापित किया और राष्ट्रीय व वैश्विक स्तर पर ज्ञान-साझाकरण के मंचों को जारी रखने की अपील की.
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एमटी/एएस