उदयपुर (Udaipur). नगर निगम में कांग्रेस के वार्ड 55 के पार्षद मोहम्मद शादाब की निर्वाचन के समय दो संतानें ही थी, लेकिन गत वर्ष उन्हें तीसरी संतान की प्राप्ति हुई. उन्होंने इसकी जानकारी नहीं देकर नगर निगम एवं स्वायत्त शासन विभाग को धोखे में रखा.
इधर, जानकारों का कहना है कि यदि निर्वाचन और कार्यकाल अवधि के मध्य यदि किसी जनप्रतिनिध को तीन संतानें होती है तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है. नियमों की मानें तो संबंधित पार्षद को जिस दिन उसे तीसरे संतान प्राप्त हुई थी, उसी समय अपने पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए था. निर्वाचन नियमावली के अनुसार तीन संतानें होने पर किसी भी जनप्रतिनिधि को पद से बना नहीं रहने दिया जा सकता है.
मामले में नगर निगम प्रबंधन का कहना है कि किसी पार्षद को तीसरी संतान की प्राप्ति हुई है और उसने निगम प्रबंधन को सूचित नहीं किया है तो निश्चित तौर पर उसके खिलाफ विधिक राय ली जाएगी तथा उसे डिबार किया जाएगा. निगम प्रबंधन ने तर्क दिया कि नियम सभी जनप्रतिनिधियों के लिए समान है. ऐसा नहीं है कि निर्वाचन के समय ही दो बच्चों का नियम है. जब तक कार्यकाल समाप्त नहीं हो जाता, तब तक यह नियम लागू रहता है. नियम तोड़ना गम्भीर लापरवाही निर्वाचन प्रक्रिया के जानकारों का कहना है कि निर्वाचन प्रक्रिया को लेकर दो संतानों का नियम बनाया गया है. ऐसा महिला जनप्रतिनिधियों पर भी लागू होता है. मामले में सबसे बड़ा पेच तो यह है कि संबंधित पार्षद ने अब तक निगम को सूचना नहीं दी है. यह चुनावी प्रक्रिया के नियमों को तोड़ने के साथ-साथ गंभीर लापरवाही को भी दर्शित करता है.