भोपाल, 7 दिसंबर . मध्य प्रदेश में कोरोना की महामारी के समय सेवाएं देने वाले कोराना योद्धा अपनी सेवा बहाली चाहते हैं और इसी मांग की पूर्ति के लिए आगामी 16 तथा 17 दिसंबर को राजधानी की सड़कों पर उतरने वाले हैं.
कोविड-19 आयुष चिकित्सक संघ, मध्य प्रदेश के प्रदेश संयोजक डॉ. अंकित असाटी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था ठीक नहीं थी. उस दौर में हालात सुधारने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पूरे मध्य प्रदेश में अस्थाई रूप से आयुष चिकित्सक, दन्त चिकित्सक, लैब टेक्निशियन, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स, साइंटिस्ट सहित अन्य सभी पैरामेडिकल चिकित्सकीय दल की नियुक्ति की. ये नियुक्तियां मेरिट अंक के आधार पर जिला स्वास्थ्य समिति के माध्यम से पूरे प्रदेश में की गईं.
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के पूर्व बालाघाट जिले में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैाहान ने घोषणा की थी कि प्रदेश में कोविड काल में सेवा देने वाले सभी कर्मचारियों के साथ प्रदेश की भाजपा सरकार खड़ी है और प्रदेश के कर्मचारियों के साथ बुरा नहीं होगा. लेकिन, कोराना काल में सेवा देने वाले कर्मचारी वर्तमान में बुरे दौर से गुजर रहे हैं. पिछले दिनों कोरोना योद्धाओं ने रीवा में उपमुख्यमंत्री एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल के निवास का घेराव किया था तब उन्होंने उचित न्याय का भरोसा दिलाया था, मगर अब तक हुआ कुछ नहीं है.
कोरोना योद्धाओं के मुताबिक, भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, हरियाणा में निकाले गए कोरोना योद्धाओं को पुनः नौकरी पर रखते हुए उनका संविदा में संविलियन कर दिया गया है, लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं हो रहा है. बीते दो साल से कोरोना योद्धा बेरोजगार हैं. उनकी संख्या चार हजार से ज्यादा है. कोरोना योद्धाओं ने अपनी मांगें पूरी कराने के लिए 16 दिसंबर को मुख्यमंत्री निवास और 17 दिसंबर को मध्य प्रदेश विधानसभा का घेराव करने का ऐलान किया है.
कोरोना योद्धाओं का कहना है कि महामारी के दौरान उन्होंने जान की परवाह किए बिना काम किया था. उन्होंने न केवल मरीजों की देखभाल की, बल्कि अपने परिवारों और समाज की सुरक्षा के लिए खुद को जोखिम में भी डाला था.
–
एसएनपी/एकेजे