बांग्लादेश में ‘जुलाई नेशनल चार्टर’ पर विवाद, राजनीतिक दलों में बुनियादी सुधारों पर मतभेद

ढाका, 30 जुलाई . बांग्लादेश में कई Political दलों ने ‘जुलाई नेशनल चार्टर’ के मसौदे पर आपत्तियां उठाई हैं. इनमें जमात-ए-इस्लामी, नेशनल सिटीजन्स पार्टी (एनसीपी) और इस्लामी आंदोलन शामिल हैं. स्थानीय मीडिया ने Wednesday को यह जानकारी दी.

यह दल, खासकर राष्ट्रीय चुनावों के बाद Government बनने के दो साल के भीतर सुधार प्रस्तावों को लागू करने के प्रावधान का विरोध कर रहे हैं. इन दलों की मांग है कि जुलाई चार्टर को एक कानूनी ढांचे में शामिल किया जाए, ताकि इसका कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके.

बांग्लादेश की नेशनल कंसेंसस कमीशन (एनसीसी) ने हाल ही में Political पार्टियों से अपील की है कि वह ‘जुलाई नेशनल चार्टर 2025’ में दिए गए सुधारों को सत्ता में आने के दो साल के अंदर लागू करने का वादा करें.

कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी ‘जमात-ए-इस्लामी’ ने जुलाई चार्टर को दो साल के भीतर लागू करने के प्रस्ताव को खतरनाक बताया.

पार्टी ने कहा कि जुलाई चार्टर को या तो अध्यादेश पारित करके, या जनमत संग्रह के जरिए लागू किया जाएगा.

इस बीच, एनसीपी का कहना है कि अगर जुलाई चार्टर के क्रियान्वयन पर स्पष्टता नहीं है, तो वह चार्टर पर हस्ताक्षर करने पर पुनर्विचार करेगी.

ढाका में पत्रकारों को संबोधित करते हुए, एनसीपी के सदस्य सचिव अख्तर हुसैन ने कहा, “हम चाहते हैं कि इस मसौदे में मूलभूत सुधार के हर पहलू को शामिल किया जाए. अगर इसे छोड़ दिया जाता है, तो पार्टी फोरम में चर्चा के बाद फैसला लिया जाएगा कि इस पर हस्ताक्षर किया जाए, या नहीं.”

दूसरी ओर, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने ‘जुलाई चार्टर’ के प्रस्तावों को लेकर सामान्य सहमति जताई है. हालांकि, बीएनपी चाहती है कि संसद में कार्यवाहक Government के गठन और संवैधानिक संस्थाओं की नियुक्ति पर भी चर्चा हो, जिसे कार्यपालिका के जरिए तय किया जाए, लेकिन जमात-ए-इस्लामी और एनसीपी (एनसीपी) ने बीएनपी के इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया. यह जानकारी प्रमुख बांग्लादेशी अखबार ‘प्रोथोम अलो’ ने दी है.

इससे पहले, Tuesday को एनसीसी ने कई महत्वपूर्ण सुधार मुद्दों पर फैसला लेने के लिए Political दलों के साथ दूसरे दौर की बातचीत का 21वां सत्र शुरू किया. इन चर्चाओं में केयरटेकर Government की रूपरेखा, संसद में महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों, और संविधान में ऑडिटर जनरल, कंट्रोलर और लोकपाल की नियुक्तियों से जुड़े प्रावधानों को शामिल किया गया. हालांकि, इन मुद्दों पर भी कोई सहमति नहीं बन पाई.

दूसरे चरण के दौरान, आयोग ने 20 मुद्दों पर चर्चा की. सूत्रों के मुताबिक अब तक 8 सुधार प्रस्तावों पर सहमति नहीं बन पाई है.

जिन दलों ने पूर्व Prime Minister शेख हसीना के नेतृत्व वाली लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित अवामी लीग Government को हटाने के लिए छात्र नेताओं और यूनुस के साथ सहयोग किया था, वह अब प्रमुख सुधार प्रस्तावों को लेकर आपस में भिड़ गए हैं.

आरएसजी/एएस