हाई ब्लड प्रेशर: सिर्फ दवा से नहीं, आयुर्वेद और सही जीवनशैली से करें कंट्रोल

New Delhi, 20 अक्टूबर . उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन का मतलब सिर्फ बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर नहीं है, बल्कि यह आपके शरीर और मन के असंतुलन का संकेत भी है.

आयुर्वेद इसे बीमारी के बजाय शरीर की अंदरूनी गड़बड़ी मानता है. अगर पित्त और वात का संतुलन बिगड़ जाए, तो ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है. इसका इलाज सिर्फ दवा लेने से नहीं होता, बल्कि सही जीवनशैली और खाने-पीने की आदतों से भी इसे कंट्रोल किया जा सकता है.

आयुर्वेद कहता है कि किसी भी बीमारी में सही दिनचर्या और सकारात्मक मानसिकता उतनी ही जरूरी है जितनी दवा.

सबसे पहले आहार पर ध्यान देना जरूरी है. ज्यादा नमक, तैलीय या प्रोसेस्ड फूड ब्लड प्रेशर बढ़ा सकते हैं. इसके बजाय मौसमी सब्जियां, फल, ओट्स, मूंग, तिल, अदरक, लहसुन जैसी चीजें खाएं. हरी पत्तेदार सब्जियां और फल ब्लड प्रेशर को संतुलित रखने में मदद करते हैं. गुड़, शहद और नारियल जैसी चीजें भी बेहतर हैं.

योग और प्राणायाम भी बहुत काम आते हैं. रोज थोड़ी देर ध्यान लगाएं, भ्रामरी प्राणायाम करें या शवासन करें. इससे तनाव कम होता है और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है. तनाव बढ़ने से ब्लड प्रेशर अचानक भी बढ़ सकता है, इसलिए मन को शांत रखना बहुत जरूरी है.

साथ ही, नींद पूरी करें, समय पर खाना खाएं और हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें जैसे वॉकिंग, साइकिलिंग या तैराकी. ये छोटे-छोटे कदम भी ब्लड प्रेशर को नेचुरली कम करने में बहुत मदद करते हैं.

आयुर्वेद उच्च रक्तचाप का इलाज केवल दवा के माध्यम से नहीं करता, बल्कि पूरे जीवनशैली के संतुलन पर ध्यान देता है. आहार, योग, प्राणायाम, मानसिक शांति और नियमित व्यायाम के मिश्रण से न केवल रक्तचाप कम होता है, बल्कि हृदय स्वास्थ्य में सुधार, ऊर्जा में वृद्धि और दीर्घायु का मार्ग भी मिलता है.

यदि हम अपने शरीर और मन के संतुलन को समझकर जीवनशैली अपनाएं, तो उच्च रक्तचाप को प्राकृतिक और स्थायी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है.

पीआईएम/एएस