नई दिल्ली, 1 नवंबर . एक शोध में यह बात सामने आई है कि यदि गर्भावस्था के दौरान मां कम चीनी वाला आहार लेती है, तो बच्चों को जन्म के पहले दो वर्षों में बीमारियों के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
अमेरिका और कनाडा के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में बचपन में चीनी के सेवन के आजीवन स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में नए और आकर्षक सबूत मिले हैं.
जिन बच्चों को गर्भधारण के बाद पहले 1,000 दिनों के दौरान शुगर नहीं दी गई, उनमें टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम 35 प्रतिशत तक कम था.
जर्नल साइंस में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि यह वयस्कों में उच्च रक्तचाप के जोखिम को 20 प्रतिशत तक कम कर सकता है.
शुगर और हाई ब्लड प्रेशर सबसे आम नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज हैं, जो दुनिया भर में स्वास्थ्य पर भारी बोझ डालते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अतिरिक्त चीनी न खाने की सलाह देता है और वयस्कों के लिए प्रतिदिन 12 चम्मच (50 ग्राम) से ज्यादा अतिरिक्त चीनी न खाने की सलाह देता है.
उल्लेखनीय है कि गर्भावस्था में चीनी पर प्रतिबंध लगाकर ही जोखिम को कम किया जा सकता है.
मॉन्ट्रियल स्थित मैकगिल विश्वविद्यालय और कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले के शोधकर्ताओं ने कहा कि यदि इसका पालन किया जाए, तो इससे उम्र बढ़ने के साथ जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है.
हर साल इलाज पर बढ़े खर्च में कमी के अलावा मधुमेह का शीघ्र निदान का मतलब जीवन में सालों की वृद्धि है. मधुमेह के इलाज में देरी से जिंदगी में तीन से चार साल की कमी भी बताई गई है.
बच्चों के शुरुआती जीवन में अतिरिक्त चीनी का अधिक सेवन लंबे समय तक उनके स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक है.
हालांकि बच्चों के चीनी उपभोग को सीमित करना आसान नहीं है, क्योंकि अतिरिक्त चीनी हर जगह है. यह छोटे बच्चों के भोजन में भी मौजूद है.
शोध में नीति निर्माताओं से खाद्य कंपनियों को जवाबदेह बनाने के लिए कहा गया है, ताकि वे बच्चों के भोजन को स्वास्थ्यप्रद विकल्पों के साथ पुनः तैयार करें. साथ ही कहा है कि खाद्य कंपनियां बच्चों के लिए बनाए गए मीठे खाद्य पदार्थों पर कर लगाएं.
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एमकेएस/