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New Delhi, 27 नवंबर . Supreme court के पूर्व सीजेआई बीआर गवई ने संविधान की भूमिका पर बेहद स्पष्ट और सारगर्भित विचार रखा. उनके जवाबों ने न सिर्फ संवैधानिक ढांचे की मजबूती पर विश्वास जताया, बल्कि देश की तीनों संस्थाओं के बीच संतुलन और जिम्मेदारी की भावना को भी रेखांकित किया.
पूर्व मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने से कहा, “संविधान बदला नहीं जा सकता.”
उन्होंने आगे समझाया कि 1973 के केशवानंद भारती मामले में Supreme court ने साफ कहा था कि संसद संविधान की ‘बेसिक स्ट्रक्चर’ में कोई संशोधन नहीं कर सकती. इस ऐतिहासिक फैसले के बाद संविधान की मूल आत्मा को किसी भी परिस्थिति में बदला नहीं जा सकता.
गवई का बयान ऐसे समय आया है जब देशभर में संवैधानिक भविष्य और संस्थाओं के अधिकारों पर बहस जारी है. पूर्व सीजेआई ने दोहराया कि India का संविधान बेहद मजबूत और संतुलित ढंग से तैयार किया गया है, इसलिए इसे खतरे में बताना उचित नहीं है.
दूसरी ओर, जब उनसे बाबा साहेब अंबेडकर के सपने और संवैधानिक मूल्यों पर पूछा गया, तो गवई ने कहा, “बाबा साहेब ने सिर्फ Political न्याय का सपना नहीं देखा था, बल्कि उनका सपना सामाजिक और आर्थिक न्याय का भी था. उनका मानना था कि Political लोकतंत्र तभी सफल होगा जब सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र भी उसके साथ चले.”
उन्होंने आगे कहा कि देश की तीन प्रमुख संस्थाएं (विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका) इन्हीं मूल्यों के आधार पर काम करें, तभी लोकतंत्र की जड़ें और मजबूत होंगी.
गवई ने इस बातचीत में यह भी संकेत दिया कि देश की संस्थाओं को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा हो सके और न्याय व्यवस्था आम लोगों के लिए और आसान बने.
पूर्व सीजेआई के इन बयानों ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि India का संविधान न सिर्फ स्थायी और मजबूत है, बल्कि ऐसी सोच और विजन पर आधारित है जो हर नागरिक के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करता है.
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वीकेयू/डीकेपी