हर वक्त की चिंता बन रही शरीर के लिए खतरा, बिगड़ रहा हार्मोन का संतुलन, कमजोर हो रही है याददाश्त

New Delhi, 8 अक्टूबर . आज के दौर में जिंदगी की रफ्तार इतनी तेज हो चुकी है कि इंसान को खुद के लिए वक़्त निकाल पाना भी मुश्किल हो गया है. हर किसी के सिर पर काम का बोझ, रिश्तों का दबाव, और भविष्य की चिंता इस कदर हावी हो चुकी है कि लोग धीरे-धीरे तनाव से घिरते जा रहे हैं. इन तनाव का सेहत पर बुरा असर पड़ता है, जिससे अनिद्रा, भूख कम लगना और बेचैनी जैसी समस्या होने लगती है. आधुनिक विज्ञान और आयुर्वेद दोनों ही इस बात को मानते हैं कि जब मन अशांत होता है, तो शरीर भी धीरे-धीरे बीमारियों का घर बन जाता है.

वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब इंसान ज्यादा सोचता है या लंबे समय तक तनाव में रहता है, तो उसके शरीर में कोर्टिसोल नाम का हार्मोन अधिक बनने लगता है. यह वही हार्मोन है जो शरीर को खतरे का सामना करने के लिए तैयार करता है, लेकिन जब इसका स्तर लगातार ऊंचा बना रहे, तो शरीर के अन्य जरूरी हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है. एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन, टेस्टोस्टेरोन और थायरॉइड जैसे जरूरी हार्मोन प्रभावित होने लगते हैं, जिसका नतीजा यह होता है कि व्यक्ति का वजन तेजी से बढ़ने लगता है, खासकर पेट के आसपास की चर्बी बढ़ती है, जिसे बाद में कम कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है.

इसके अलावा, तनाव के कारण नींद पूरी नहीं हो पाती. रात को बार-बार आंख खुलना या देर रात तक जागते रहना आम बात बन जाती है. आयुर्वेद भी मानता है कि मानसिक दोष, यानी मन की अशांति, शरीर में वात, पित्त और कफ का संतुलन बिगाड़ देती है, जिससे पाचन से लेकर नींद तक पर असर पड़ता है.

थकान और ऊर्जा की कमी भी तनाव के कारण देखने को मिलती है. जब दिमाग लगातार उलझनों में घिरा रहता है, तो शरीर भले आराम कर रहा हो, लेकिन मन पूरी तरह थका हुआ महसूस करता है. ऐसे में सुबह उठने का मन नहीं करता और दिनभर सुस्ती छाई रहती है. दिमाग भी धीमे कार्य करने लगता है, याददाश्त कमजोर होती है, फोकस करना मुश्किल हो जाता है और फैसले लेने में मुश्किल आने लगती है. इसे ही आयुर्वेद में मनोविकार कहा गया है, जहां मन और बुद्धि दोनों भ्रमित होने लगते हैं.

तनाव से उबरने के लिए सबसे पहले जरूरी है खुद को समझना. हमें यह सीखना होगा कि हर बात पर सोचते रहना समाधान नहीं, समस्या है. अपनी सोच को नियंत्रित करना और उसे सकारात्मक सोचना बेहद जरूरी है. आयुर्वेद कहता है कि जब मन स्थिर होता है, तो शरीर भी स्वस्थ रहता है. इसके लिए नियमित रूप से योग और प्राणायाम करना बेहद लाभकारी है. सूर्य नमस्कार, भ्रामरी प्राणायाम और अनुलोम-विलोम जैसे अभ्यास दिमाग को शांत करने में मदद करते हैं. साथ ही विज्ञान भी यह मानता है कि मेडिटेशन से कोर्टिसोल का स्तर कम होता है और मानसिक शांति मिलती है.

पीके/एएस