तमिलनाडु की राजनीति में प्रासंगिक बने रहने के लिए नए चेहरों को मौका देगी कांग्रेस

चेन्नई, 20 मई . तमिलनाडु कांग्रेस अध्यक्ष के. सेल्वापेरुन्थागई ने हाल ही में एक बैठक में कहा कि पार्टी को अपने गठबंधन सहयोगी डीएमके से राजनीतिक सम्मान पाने के लिए राज्य की सत्ता पर एक बार फिर कब्जा करने की जरूरत है.

सेल्वापेरुन्थागई के बयान को पार्टी नेतृत्व द्वारा अपने कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने का एक प्रयास माना जाता है. कार्यकर्ताओं ने डीएमके के स्थानीय नेताओं द्वारा दुर्व्यवहार करने की शिकायत की है.

कांग्रेस आखिरी बार तमिलनाडु में 1967 में सत्ता में थी. उस समय डीएमके नेता सीएन अन्नादुरई ने एम भक्तवत्सलम के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी को हराकर सत्ता हासिल की.

भक्तवत्सलम तमिलनाडु के आखिरी कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे. उसके बाद से पार्टी डीएमके व एआईएडीएमके की छाया में है.

कांग्रेस के सूत्रों ने को बताया कि चार जून को लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी बदलाव लाएगी. पार्टी अध्यक्ष नेतृत्व में युवा लोगों को शामिल करना चाहते हैं.

समाज के सभी वर्गों से आए युवा पेशेवरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को पार्टी नेतृत्व द्वारा कांग्रेस में शामिल करने और प्रमुख पद दिए जाने का लक्ष्य रखा जा रहा है.

कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में डीएमके के साथ गठबंधन में लड़ी गई 9 में से 8 सीटें जीतीं. 2024 के चुनावों में भी कांग्रेस 9 सीटों पर चुनाव लड़ी है.

कांग्रेस ने आखिरी बार 1989 में अपने दम पर चुनाव लड़ा था और उसे केवल 4.5 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे डीएमके के साथ गठबंधन में 12.61 प्रतिशत वोट मिले.

दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी ने इस आम चुनाव में अन्नाद्रमुक के साथ गठबंधन तोड़ दिया है और पीएमके और छोटे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ी है.

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने से कहा, “भाजपा पहले ही एक उदाहरण स्थापित कर चुकी है और कांग्रेस को भी खुद को साबित करने की कोशिश करनी चाहिए. अन्यथा, पार्टी को तमिलनाडु की राजनीति में हमेशा द्रविड़ दलों की छत्रछाया में ही रहना होगा. पार्टी को खुद को नया रूप देना होगा और नए चेहरों को इसका नेतृत्व करना होगा, ताकि पार्टी जमीनी स्तर पर विश्वास हासिल कर सके और अधिकतम सीटें हासिल कर सके.’

नाम तमिलर काची (एनटीके), पट्टाली मक्कल काची (पीएमके), विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) और कई अन्य राजनीतिक दल तमिलनाडु में समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हुए उभरे हैं और राज्य की राजनीति में कांग्रेस को अपनी पकड़ बनाने के लिए खुद की जगह ढूंढनी होगी.

कोयंबटूर स्थित चुनाव और राजनीतिक विश्लेषक, जॉर्ज थॉमस ने से कहा, “तमिलनाडु में कांग्रेस के पास हमेशा एक जगह है और उसे अपने दम पर उभरने के लिए अपनी धर्मनिरपेक्ष साख और राष्ट्रीय दृष्टिकोण पर जोर देना होगा. हालांकि, इसमें जोखिम भी है और आगे का रास्ता अच्छा नहीं है. अगर पार्टी डीएमके से नाता तोड़ने का फैसला करती है, तो उसे जमीनी स्तर पर कड़ी मेहनत करनी होगी और अपने दम पर उभरना होगा, जो एक कठिन फैसला है.’

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