New Delhi, 20 अगस्त . Lok Sabha सांसद मणिकम टैगोर ने Wednesday को Lok Sabha के महासचिव को पत्र लिखकर सदन की कार्यवाही को तत्काल स्थगित करने और गंभीर मुद्दे पर चर्चा शुरू करने की अनुमति मांगी है. यह मुद्दे हैं- मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर हेराफेरी, चुनाव आयोग (ईसीटी) के कथित दुरुपयोग और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनावों पर पड़ रहे खतरे. टैगोर ने खास तौर पर बिहार और कर्नाटक में सामने आई अनियमितताओं का भी हवाला देते हुए इस पर तुरंत कार्रवाई की मांग की है.
मणिकम टैगोर ने कहा कि हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 2024 के Lok Sabha चुनावों के दौरान Bengaluru मध्य Lok Sabha क्षेत्र (महादेवपुरा विधानसभा) में एक लाख से ज्यादा फर्जी और डुप्लीकेट मतदाता प्रविष्टियों का खुलासा किया था. यह जानकारी छह महीने की जांच के बाद सामने आई है. इसी तरह, बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत कई जीवित मतदाताओं को गलत तरीके से मृत घोषित कर उनके नाम हटा दिए गए हैं. टैगोर ने आरोप लगाया कि ये विसंगतियां जानबूझकर की जा रही हैं ताकि सत्तारूढ़ दल को फायदा मिल सके.
सांसद ने कहा कि चुनाव आयोग की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी साफ दिख रही है. उन्होंने 2023 में चुनावी कानून में जोड़ी गई धारा 16 पर भी सवाल उठाए. इस धारा के तहत चुनाव आयुक्तों को अपने कर्तव्यों के दौरान किए गए किसी भी काम के लिए कानूनी कार्रवाई से छूट दी गई है, भले ही वह गलत क्यों न हो. यह प्रावधान लोकतंत्र के उस सिद्धांत को कमजोर करता है कि कोई भी Governmentी अधिकारी कानून से ऊपर नहीं है. टैगोर के मुताबिक, यह कानून चुनाव प्रक्रिया में जनता के भरोसे को भी ठेस पहुंचा रहा है.
इस मुद्दे को राष्ट्रीय महत्व का बताते हुए टैगोर ने पांच मांगें रखी हैं. पहली, सदन की सभी गतिविधियां तुरंत स्थगित कर इस पर चर्चा शुरू की जाए. दूसरी, कर्नाटक, बिहार और अन्य प्रभावित राज्यों में मतदाता सूचियों की जांच के लिए एक स्वतंत्र न्यायिक या संसदीय समिति बनाई जाए. तीसरी, बिहार में एसआईआर प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए, जब तक कि हटाए गए नामों का पारदर्शी और सत्यापन योग्य ऑडिट न हो जाए. चौथी, 2023 के चुनावी कानून संशोधनों, खासकर धारा 16 को रद्द करने की समीक्षा हो, जो चुनाव आयुक्तों को असंवैधानिक छूट देती है. पांचवीं, चुनाव आयोग की निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र नियुक्ति प्रक्रिया और कार्यात्मक स्वायत्तता जैसे सुधार लागू किए जाएं.
उन्होंने बताया कि बिहार में सामने आई इन विसंगतियों ने लोगों में गुस्सा और चिंता बढ़ा दी है. कई इलाकों से शिकायतें आई हैं कि सही मतदाताओं के नाम हटाकर फर्जी प्रविष्टियां जोड़ी जा रही हैं. विपक्ष का दावा है कि यह साजिश चुनावों को प्रभावित करने की है. दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने अभी तक इन आरोपों पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया, जिससे सवाल और गहरे हो गए हैं.
सांसद ने अपने पत्र में कहा कि अगर इन आरोपों की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो लोकतंत्र पर गहरा असर पड़ेगा. उन्होंने सुझाव दिया कि स्वतंत्र एजेंसियों को इसकी जांच सौंपी जाए, ताकि मतदाताओं का भरोसा बरकरार रहे. Political गलियारों में इस मुद्दे पर बहस तेज हो गई है, और विपक्ष इसे बड़ा आंदोलन बनाने की तैयारी में है. टैगोर ने जोर देकर कहा कि जब लोकतंत्र की रक्षा करने वाली संस्थाओं से समझौता हो रहा हो, तो सदन निष्क्रिय नहीं रह सकता.
उन्होंने बताया कि मतदान का अधिकार हमारे गणतंत्र की नींव है और इसे कमजोर करने का कोई भी प्रयास संविधान पर हमला है. टैगोर ने Lok Sabha अध्यक्ष से इस मामले को गंभीरता से लेने और संवैधानिक जिम्मेदारी निभाने की अपील की है.
–
एसएचके/एएस