25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का ऐलान, कांग्रेस नेताओं की आई प्रतिक्रिया

नई दिल्ली, 12 जुलाई . केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचना जारी कर 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया गया है. सरकार के इस फैसले का एक तरफ एनडीए के नेता स्वागत कर रहे हैं, तो वहीं विपक्षी के नेता आलोचना कर रहे हैं. 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किए जाने के बाद कांग्रेस नेता विवेक तन्खा, पवन खेड़ा और प्रमोद तिवारी की प्रतिक्रिया सामने आई है.

कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने कहा कि मुझे बहुत ही आश्चर्य हुआ, जब भारत सरकार की ओर से एक अधिसूचना जारी की गई कि 25 जून को हर साल देश भर में इमरजेंसी का रिमेंबरेंस डे मनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि 1975 की घटना को उठाना, भाजपा की हताशा को दर्शाता है. हताशा के कारण ये 50 साल पुराने मुद्दे को उठा रहे हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि भाजपा को पिछले महीने की चार तारीख को 440 वोल्ट का एक ऐसा करंट लगा था कि चार सौ पार का सपना देखने वाले 240 पर सिमट गए. उनका संविधान बदलने का सपना चूर-चूर हो गया. लेकिन अब उनके सपने में संविधान आना शुरू हुआ, जब संविधान के नारों से संसद गूंज उठा, तो अब संविधान हत्या दिवस की बात हो रही है.

भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन में संविधान की हत्या का शब्द वही लोग ला सकते हैं, जो संविधान की हत्या करना चाहते हैं. जिस दौर की ये बात कर रहे हैं, उस दौर में भी संविधान स्थगित हुआ था. लेकिन, पिछले दस साल के दौरान संविधान की हत्या की साजिश की गई है. कभी दलितों को प्रताड़ित किया, कभी आदिवासियों की जमीन छीनी, कभी बलात्कारियों को फूल मालाएं पहनाई, यह होता है संविधान की हत्या करना.

उन्होंने कहा कि आप लोगों की पार्टियों को तोड़ देते हैं और आप संविधान हत्या दिवस मना रहे हैं. यह तो वही हुआ कि विजय माल्या और नीरव मोदी बैंक दिवालिया दिवस मनाएंगे. नाटक-नौटंकी से राजनीति नहीं चल सकती, लोग जागरूक हैं. नाटक-नौटंकी बंद कीजिए, पेपर लीक रोकिये, नौकरियों की व्यवस्था कीजिए, आटे-दाल के दामों को काबू कीजिए. सरकार चलाने की कुछ शिक्षा लीजिए और काम कीजिए, नाटक नहीं चलेगा, जय संविधान, जय बाबा साहब अंबेडकर.

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि देश में बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी व सरकार की असफलता से ध्यान भटकाने के लिए संविधान हत्या दिवस मनाया जा रहा है. मैं सिर्फ एक चीज कहना चाहता हूं कि आपातकाल लगने के बाद बहुत सारे चुनाव हुए, बहुत सारे जनादेश आए. लेकिन यह भी सच्चाई है कि जिस दिन से मोदी सरकार ने सत्ता संभाली है, हर रोज संविधान की हत्या हो रही है, संविधान की उपेक्षा हो रही है, संवैधानिक संस्थाएं खत्म की जा रही हैं. मैं कहूंगा मोदी का कार्यकाल संविधान की हत्या युग के रूप में जाना जाएगा.

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