‘प्रजातंत्र को बचाने के लिए बड़ी लड़ाई लड़नी होगी’, सीईसी ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति पर बोले कांग्रेस नेता

मुंबई, 18 फ़रवरी . चुनाव आयुक्त से मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) बने ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाए जाने का कांग्रेस के दिग्गज नेता रमेश चेन्निथला ने समर्थन किया है. उन्होंने मंगलवार को कहा कि प्रजातंत्र को बचाने के लिए हमें बहुत बड़ी लड़ाई लड़नी होगी.

रमेश चेन्निथला ने समाचार एजेंसी से कहा, “मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर हमारे नेता राहुल गांधी ने अपना रुख स्पष्ट किया है. अब 19 फरवरी को इसकी सुनवाई माननीय सुप्रीम कोर्ट में होने वाली है. राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखकर अपनी बात रखी थी, लेकिन सरकार ने मनमानी की. जनता जानती है कि इसके पीछे क्या कारण है. प्रजातंत्र को बचाने के लिए हमें इस देश में बहुत बड़ी लड़ाई लड़नी पड़ेगी, जिसके लिए हम तैयार हैं. इस मामले में कोर्ट जो फैसला सुनाएगी, उसके बाद हम आगे की रणनीति बनाएंगे.”

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने सोमवार शाम दिल्ली में बैठक की थी. इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर ज्ञानेश कुमार को नया सीईसी चुना गया था.

राहुल गांधी ने मंगलवार को चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए ‘एक्स’ पर लिखा, “अगले चुनाव आयुक्त का चयन करने वाली समिति की बैठक के दौरान, मैंने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को एक असहमति पत्र प्रस्तुत किया. इसमें कहा गया था कि कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त एक स्वतंत्र चुनाव आयोग का सबसे बुनियादी पहलू चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त को चुनने की प्रक्रिया है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करके और भारत के मुख्य न्यायाधीश को समिति से हटाकर, मोदी सरकार ने हमारी चुनावी प्रक्रिया की अखंडता पर करोड़ों मतदाताओं की चिंताओं को और बढ़ा दिया है.”

उन्होंने लिखा, “विपक्ष के नेता के रूप में यह मेरा कर्तव्य है कि मैं बाबासाहेब अंबेडकर और हमारे राष्ट्र के संस्थापक नेताओं के आदर्शों को कायम रखूं और सरकार की गलतियों को उजागर करूं. प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा नए मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करने का निर्णय आधी रात को लेना अपमानजनक और अशिष्टतापूर्ण है, जबकि समिति की संरचना और प्रक्रिया को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है और इस पर 48 घंटे से भी कम समय में सुनवाई होनी है.”

एससीएच/एकेजे