कांग्रेस नेता दानिश अली ने कहा, आरएसएस चीफ के बयान में विरोधाभास है

नई दिल्ली, 12 अक्टूबर . विजया दशमी के मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में संघ के कार्यालय में शस्त्र पूजा की.

उन्होंने अपने संबोधन में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हुए अत्याचार का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि हिन्दू एकजुट हुए और पहली बार सड़कों पर उतरे. उनके इस बयान पर कांग्रेस नेता दानिश अली ने ऐतराज जताया है. उन्होंने कहा, एक तरफ वो कह रहे हैं कि अल्पसंख्यकों को मिलकर रहना चाहिए. दूसरी तरफ वो कह रहे हैं कि वहां बांग्लादेश में हिन्दू सुरक्षित इसलिए रहे क्योंकि, हिन्दू सड़कों पर उतरे और एकजुट हो गए.

आरएसएस कई तरह की भाषा बोलती है. मोहन भागवत को अपने संगठन के लोगों को समझाना चाहिए. देश में एकता, अखंडता बनाने का काम किसी एक वर्ग का नहीं, बल्कि सभी का है. मोहन भागवत के बयानों में कई तरह के विरोधाभास हैं. एक तरफ वह मिलकर रहने की बात करते हैं. दूसरी तरफ वो कहते हैं बांग्लादेश में हिन्दू इसलिए सुरक्षित थे, क्योंकि, हिन्दू इकठ्ठा हो गए. उन्हें तय कर लेना चाहिए कि वह कहना क्या चाहते हैं.

एनसीपीसीआर की एक रिपोर्ट आई है. जिसमें दावा किया गया है कि ढाई करोड़ बच्चे बुनियादी शिक्षा से वंचित हैं. इनमें मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे भी शामिल हैं. इस पर दानिश अली ने कहा, एनसीपीसीआर एक तरह कह रहा है कि अशिक्षा है, दूसरी तरफ वो कह रहे हैं कि मदरसों की फंडिंग को रोक देना चाहिए. यूपीए की मनमोहन सरकार ने सभी को शिक्षा का मूल अधिकार दिया. मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए एक स्कीम चलाई गई थी. मदरसों में इंग्लिश और साइंस के टीचर नियुक्त किए गए थे. शिक्षकों को इसके लिए मानदेय तय किया गया था. लेकिन, जब से मोदी सरकार आई है तब से इस नियम को बंद कर दिया गया. इससे हजारों शिक्षक भूखमरी के शिकार हैं. सरकार इस देश में एक वर्ग को शिक्षित नहीं बनाना चाहती है. अगर 12 हजार की मानदेय में शिक्षक अंग्रेजी, साइंस बच्चों को पढ़ा रहे थे तो कौन सा गुनाह हो रहा था.

डीकेएम/जीकेटी