तिरुवनन्तपुरम, 2 जुलाई . राजीव चंद्रशेखर द्वारा दिए गए बयान में उन्होंने जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन को लेकर गंभीर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि यह संगठन 1941 में बना था और लंबे समय तक इस पर कई राजनीतिक दलों ने सवाल उठाया. यहां तक कि ओमन चांडी जैसे कांग्रेस नेता ने भी इसे कोर्ट में “एंटी-नेशनल” करार दिया था.
राजीव चंद्रशेखर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सालों से पाकिस्तान ‘आतंकवाद’ को जस्टिफाई करता रहा है, वहीं कांग्रेस की हालत भी ऐसी हीं है. बिहार, केरल और उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का भी यही हाल है. मैं यह कहना चाहता हूं कि ये बेशर्मी की हद है. उनके पास एक हाथ में संविधान, मुंह में सेक्युलरिज्म लेकिन राजनीति करते हैं जमात-ए-इस्लामी के साथ.
उन्होंने आगे कहा, “लोगों को जानना बहुत जरूरी है कि कांग्रेस की सच्चाई क्या है. आप देख रहे हैं कि इन लोगों ने कर्नाटक में क्या हालत कर दिया है, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश में भी इकोनॉमी की क्या हालत कर दी है. विकास के बारे में उनके पास कहने और करने के लिए कुछ नहीं है. गवर्नेंस के बारे में भी कुछ नहीं है, बस इन लोगों के पास कुछ है तो वह है भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण.”
चंद्रशेखर ने आगे कहा, “पहली बार कांग्रेस इस भारत विरोधी जमात-ए-इस्लामी को मुख्य धारा की राजनीति में लाने की कोशिश कर रही है. इसका खुलासा किया जा रहा है. जमात ए इस्लामी के हेड (अमीर) का नाम मुजीबुर रहमान है. इनका हाल ही में एक बयान आया था कि देश की कोई भी ऐसी पार्टी नहीं है, जिसने जमात की मदद नहीं ली हो. और केवल एक ही पार्टी है, जिसने जमात का मदद नहीं ली है, वह है भाजपा.”
उन्होंने आगे कहा, “इतने सालों से कांग्रेस ने लोगों को भड़काकर और बेवकूफ बनाकर राजनीति किया है. बिहार-यूपी में इमारत-ए-शरिया के साथ, केरल, तमिलनाडु आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना में जमात-ए-इस्लामी के साथ उनका राजनीति चल रहा है. पहले ही हम इस तुष्टिकरण की राजनीति के सबूत देख चुके हैं. मुंबई हमले से लेकर बाटला हाउस तक सब देश ने देखा है.”
प्रियंक खड़गे पर बोलते हुए राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि कांग्रेस का रिमोट जमात-ए-इस्लामी जैसी पार्टियों के हाथ में है. इनको लोगों को भड़काना है, मुस्लिम कम्युनिटी को बेवकूफ बनाना है. खड़गे कहते हैं आपातकाल की 50 वीं सालगिरह क्यों मना रहे हैं. लेकिन ये सबूत है कांग्रेस किस तरह हताशा में लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ करती है.
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वीकेयू/जीकेटी