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jaipur, 24 अक्टूबर . Rajasthan की राजनीति में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर सुर्खियों में है, क्योंकि संगठन के नए जिला अध्यक्षों की घोषणा का इंतजार किया जा रहा है.
सूत्रों ने बताया कि जिला स्तर की रिपोर्ट दिल्ली पहुंच गई है और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) मुख्यालय में जल्द ही अंतिम निर्णय होने की उम्मीद है. Friday को, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने Rajasthan के जिला अध्यक्षों की नियुक्तियों को अंतिम रूप देने के लिए सुबह से शाम तक दिल्ली में विस्तृत चर्चा की.
बैठक में Rajasthan प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विपक्ष के नेता टीकाराम जूली शामिल हुए. बैठक में जिलों से नामों की सूची बनाते समय जातिगत प्रतिनिधित्व, Political प्रभाव और क्षेत्रीय समीकरणों को संतुलित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया.
सूत्रों ने कहा कि रंधावा, डोटासरा और जूली के बीच आम सहमति अंतिम चयन के लिए महत्वपूर्ण होगी. डोटासरा और जूली ने रंधावा के साथ उनके दिल्ली स्थित आवास पर एक अलग रणनीति बैठक भी की, जिसमें जिला-स्तरीय फीडबैक और संभावित उम्मीदवारों की समीक्षा की गई. संकलित रिपोर्ट अब Lok Sabha में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को भेज दी गई है, जिनकी स्वीकृति सूची की आधिकारिक घोषणा से पहले होगी.
इस बीच जिला अध्यक्ष पद के कई दावेदार दीपावली के बाद से ही दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. होटलों और Rajasthan राज्य अतिथि गृह में उनकी मौजूदगी साफ दिखाई दे रही है, क्योंकि बैठकों और Political संपर्क के जरिए लॉबिंग तेज हो गई है.
कुछ उम्मीदवार सिफारिशें हासिल करने के लिए त्योहारों के दौरों और दीपावली शुभकामनाओं का भी इस्तेमाल कर रहे हैं. खास तौर पर उन जिलों में मुकाबला काफी कड़ा है, जहां कांग्रेस के मौजूदा सांसद या विधायक नहीं हैं.
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में तस्वीर ज्यादा साफ है, सीकर, जहां डोटासरा का प्रभाव ज्यादा है; झुंझुनू, जहां सांसद बृजेंद्र सिंह ओला का समर्थन है; जोधपुर, जहां पूर्व Chief Minister अशोक गहलोत का मार्गदर्शन है; और टोंक और भरतपुर, जहां सचिन पायलट और भंवर जितेंद्र सिंह का दबदबा है.
50 जिलों में सैकड़ों उम्मीदवारों के साथ, कांग्रेस संगठन में हुए इस फेरबदल ने काफी उत्सुकता पैदा कर दी है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अंतिम सूची कभी भी घोषित की जा सकती है, जो Rajasthan में कांग्रेस के संगठनात्मक पुनरुद्धार में एक बड़ा कदम होगा.
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एमएस/डीकेपी