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New Delhi, 26 अक्टूबर . सीबीआई के पूर्व संयुक्त निदेशक उपेंद्र नाथ बिस्वास ने खुलासा किया है कि चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव को “बख्शने” के लिए कांग्रेस ने उस समय क्या-क्या किया था.
उपेंद्र नाथ बिस्वास ने को बताया कि कैसे कांग्रेस ने 950 करोड़ रुपये के घोटाले में अपने प्रमुख सहयोगी और राजद प्रमुख लालू प्रसाद को गिरफ्तारी से बचाने के लिए पर्दे के पीछे से Political चालें चलीं, लेकिन वे असफल रहीं.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने तत्कालीन Prime Minister एच.डी. देवेगौड़ा पर मुझे लालू प्रसाद यादव की गिरफ्तारी से रोकने के लिए दबाव डाला. जब वह अपने उद्देश्य में विफल रहे, तो कांग्रेस ने उनकी Government से समर्थन वापस ले लिया.
के साथ एक विशेष साक्षात्कार में सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने 1990 के दशक में इस विवादास्पद जांच के दौरान कांग्रेस द्वारा लालू प्रसाद यादव को दिए गए पूर्ण समर्थन की आलोचना की.
उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव घोटाले में गिरफ्तारी से बचने के लिए केंद्र Government पर दबाव बढ़ा रहे थे. उन्होंने अपने गुरु और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी से केंद्र Government से समर्थन वापस लेने का अनुरोध किया और केसरी ने उनकी बात मान ली. उन्होंने घोटाले से जुड़े 75 मामलों में सजा दिलाने में सीबीआई की सफलता का श्रेय अदालतों की कड़ी निगरानी को दिया.
पूर्व सीबीआई अधिकारी ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी ने ही लालू प्रसाद यादव को इस्तीफा देने और राबड़ी देवी को बिहार का नया Chief Minister बनाने की सलाह दी थी.
चारा घोटाले में सीबीआई द्वारा मामले दर्ज किए जाने के दौरान दिल्ली के सत्ता के गलियारों में मची हलचल की अंदरूनी जानकारी देते हुए उपेंद्र नाथ बिस्वास ने कहा कि गिरफ्तारी से बचने की अपनी हताशा में लालू प्रसाद यादव ने अगले Prime Minister आईके गुजराल से भी संपर्क किया और मुझ पर नियंत्रण रखने की गुहार लगाई, लेकिन Prime Minister गुजराल ने कहा, ‘मुझे माफ करना.’
सेवानिवृत्त सीबीआई अधिकारी ने बिहार के तत्कालीन Chief Minister लालू प्रसाद यादव द्वारा गिरफ्तारी से बचने के लिए की गई कोशिशों को भी याद किया.
उन्होंने कहा कि Supreme court ने लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे. हमारे पास पूरी शक्ति थी और हम उनके घर गए, लेकिन उन्होंने अपने घर के चारों ओर स्थानीय Police का घेरा बना दिया और हमें अंदर जाने की इजाजत नहीं दी गई.
उन्होंने कहा कि सीबीआई अधिकारियों ने Chief Minister आवास में घुसने के लिए सेना की मदद लेने की भी कोशिश की. सेना ने कहा कि हम लिखित में चाहते हैं. सेना ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से भी संपर्क करने की कोशिश की, जिन्होंने गिरफ्तारी के लिए उनकी मदद लेने की मंजूरी दी थी, लेकिन सेना के अधिकारी न्यायाधीश से संपर्क नहीं कर सके.
बाद में 29-30 जुलाई, 1997 को बिहार Police की मदद से लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार कर लिया गया, जिसका इस दिग्गज राजनेता के करियर पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ा.
चारा घोटाला 1990-91 और 1995-96 के दौरान सामने आया. इसके तहत, तत्कालीन बिहार पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने बेईमान आपूर्तिकर्ताओं और अन्य लोगों के साथ मिलकर आपूर्तिकर्ताओं को भुगतान करने के बहाने सैकड़ों करोड़ रुपए निकाले और गबन किए, जिन्होंने चारे और पशु चिकित्सा दवाओं की आपूर्ति दिखाते हुए नकली/फर्जी बिल जमा किए थे. निकाली गई राशि का अंततः दुरुपयोग किया गया. मामले की जांच के दौरान इसमें तत्कालीन राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की भूमिका सामने आई थी.
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एमएस/वीसी