कांग्रेस प्रतिशोध की राजनीति करती है : प्रमोद सावंत

पणजी, 13 मार्च . गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने बुधवार को कहा कि जब कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई आवाज उठाता है, तो उसके खिलाफ प्रतिशोध की राजनीति कर उसे जेल भेज दिया जाता है.

पोंडा-दक्षिण गोवा में नमो नवमतदाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधा, जहां बीजेपी विधायक के कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र कार्यक्रम में शामिल हुए.

सावंंत ने स्टूडेंट कम्युनिटी को संबोधित करते हुए कहा, “कांग्रेस ने पिछले 10 सालों में आज तक एक भी कार्यक्रम युवाओं के लिए नहीं किया. ये लोग लोगों को जेल में डालने की कोशिश कर रहे हैं. कांग्रेस कई तरह के भ्रष्टाचार में लिप्त रह चुकी है. इसके अलावा जो लोग कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते हैं, उन्हें जेल में डाल दिया जाता है.”

सावंत ने कहा, “आज की तारीख में कांग्रेस का मतलब भ्रष्टाचार है, जबकि बीजेपी पूरे विश्व में सफलता की कहानी लिखने के लिए अपनी पहचान बना रही है. पहले यूपीए सरकार के कार्यकाल में 2जी और 3जी और कोयला घोटाला, खनन घोटाला और इस तरह के कई घोटाले होते थे. कांग्रेस ने घोटालों के अलावा कुछ नहीं किया. कांग्रेस के शासनकाल में हर दिन भ्रष्टाचार हुए.”

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 10 सालों मे लोगों ने सफलता की कहानियां और सफल परियोजनाओं को ही जमीन पर उतरते हुए देखा है.

सावंत ने आगे कहा, “हमें यह पता होना चाहिए कि पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बहुत कुछ किया गया है और 2014 से पहले देश की स्थिति क्या थी. 2004 से लेकर 2014 तक यूपीए की सरकार थी. उस वक्त मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री की कुर्सी पर विराजमान थे, जो कि आज भारत जोड़ने की बात कह रहे हैं. मुझे लगता है कि आज आपको कांग्रेस के पिछले 10 सालों के शासनकाल और मोदी सरकार के 10 सालों के शासनकाल पारस्परिक तुलना करना चाहिए. आपको यह पता करने की जरूरत है कि एनडीए सरकार में किस तरह के सुधार हुए हैं. हम यह पता होना चाहिए कि आधारिक संरचना और मानव संसाधन के मोर्चे पर पिछले कुछ वर्षों में किस तरह के परिवर्तन हुए हैं. अगर आप ऐसा करेंगे, तो आपको इसके बीच का फर्क खुद ब खुद मालूम पड़ जाएगा.”

उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी के शासनकाल में आज देश में हर क्षेत्र में प्रगति दखने को मिल रही है. आज जहां एम्स की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है, तो वहीं दूसरी तरफ आईआईटी, आईआईएम और अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय जैसे शैक्षिक संस्थानों की संख्या में भी वृद्धि देखने को मिली है.”

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