झारखंड में कांग्रेस की ‘पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय’ बनाने की मांग, इसको लेकर जल्द सीएम सोरेन से होगी मुलाकात

रांची, 7 सितंबर . झारखंड की राजधानी रांची में शनिवार को झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी विस्तारित कार्यसमिति की बैठक हुई. इस बैठक में पार्टी नेताओं द्वारा प्रदेश की आगे की रणनीति को लेकर चर्चा की गई.

रांची में कांग्रेस की हुई महत्वपूर्ण बैठक में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, लोकसभा सांसद सप्तगिरि उल्का समेत प्रदेश कांग्रेस के सभी पूर्व पदाधिकारी, सभी जिला अध्यक्ष, जिला सचिव, युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, अल्पसंख्यक कांग्रेस, ओबीसी कांग्रेस और अन्य विभागों के पदाधिकारी शामिल हुए.

इस बैठक में झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव की रणनीति और मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई. झारखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने कहा कि कांग्रेस की बैठक में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पर बात हुई, जिसमें कहा गया कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और बिहार के तर्ज पर झारखंड में भी सरकार पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए एक अलग पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय का गठन करे.

उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात कर जल्द से जल्द ‘पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्रालय’ बनाने की मांग करेगा. महतो ने आगे कहा कि झारखंड में जहां-जहां नगर निगम है, वहां पर नगर और महानगर कांग्रेस कमेटी का गठन किया जाएगा. इस प्रस्ताव को हम ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में भेजेंगे.

झारखंड विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि इस संबंध में पार्टी के आलाकमान फैसला लेंगे. जहां पर जिसके जीतने की संभावना ज्यादा होगी, उसको वहां से पार्टी अपने उम्मीदवार के रूप में उतारेगी.

बता दें कि आगामी विधानसभा चुनाव में प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस एक साथ उतरने की योजना बना रही है. हालांकि, हाल में ही प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को बड़ा झटका लगा था, जब उनके पार्टी के वरिष्ठ नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा का दामन थाम लिया था.

केंद्रीय मंत्री और झारखंड चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा की मौजूदगी में चंपई सोरेन ने भाजपा का दामन थामा था. चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना चुनाव से पहले प्रदेश की सत्ताधारी पार्टी के लिए एक बड़ा नुकसान माना जा रहा है.

एससीएच/जीकेटी