झारखंड की चार सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को “अपनों” से खतरा !

रांची, 23 अप्रैल . झारखंड में चार सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशियों को ‘अपनों’ से ही खतरा है. उन्हें चुनाव मैदान में प्रतिद्वंद्वियों से मुकाबले से पहले बगावत और भितरघात की चुनौती से जूझना होगा.

झारखंड में इंडिया गठबंधन में सीट शेयरिंग के तहत कांग्रेस के हिस्से 14 में से 7 सीटें आई हैं. इनमें से चार सीटों चतरा, गोड्डा, धनबाद और लोहरदगा में उम्मीदवारी घोषित किए जाने के बाद सामने आ रही प्रतिकूल रिपोर्टों की वजह से कांग्रेस नेतृत्व चिंतित है.

गोड्डा सीट पर तो पार्टी को उम्मीदवार बदलना पड़ा है. खबर है कि चतरा सीट पर भी गठबंधन से बगावत की तेज लहर की वजह से घोषित प्रत्याशी का नाम वापस लेकर उसकी जगह दूसरा चेहरा देने पर गंभीरता से विचार चल रहा है.

21 अप्रैल को रांची में इंडिया गठबंधन की ज्वाइंट रैली के दौरान चतरा से कांग्रेस के प्रत्याशी केएन त्रिपाठी के समर्थकों और विरोधियों के बीच जमकर मारपीट हो गई थी. इसमें दोनों पक्षों से कई लोग घायल हो गए थे और रैली में कुछ वक्त के लिए अफरा-तफरी मच गई थी.

दरअसल, केएन त्रिपाठी डाल्टनगंज के रहने वाले हैं. उन्हें चतरा सीट पर उम्मीदवार बनाए जाने से कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक समूह तो नाराज है ही, गठबंधन की दूसरी पार्टी राजद के नेता-कार्यकर्ता खुलेआम बगावत पर उतर आए हैं और चतरा के स्थानीय नेता को उम्मीदवार बनाने की मांग कर रहे हैं. इस सीट पर राजद की भी प्रबल दावेदारी थी, लेकिन कांग्रेस ने यहां अपना उम्मीदवार उतार दिया.

गोड्डा सीट पर कांग्रेस ने पहले महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह को प्रत्याशी बनाया था. उनकी उम्मीदवारी घोषित होते ही देवघर और गोड्डा में पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं ने जोरदार विरोध दर्ज कराया. पार्टी के जिला कार्यालयों के समक्ष प्रदर्शन करते हुए नेताओं-कार्यकर्ताओं ने सामूहिक इस्तीफे तक की धमकी दे दी. आखिरकार पांच दिन बाद पार्टी ने यहां दीपिका की जगह पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव को प्रत्याशी घोषित कर दिया.

कांग्रेस के जामताड़ा क्षेत्र के विधायक डॉ. इरफान अंसारी इस सीट पर अपने पिता फुरकान अंसारी को टिकट देने की मांग कर रहे थे. फुरकान अंसारी और इरफान अंसारी का कहना है कि पार्टी ने पूरे राज्य में एक भी मुसलमान को उम्मीदवार नहीं बनाया, जबकि उनकी आबादी 18 फीसदी है. ऐसे में प्रदीप यादव के सामने दो विधायकों दीपिका पांडेय सिंह एवं इरफान अंसारी और उनके समर्थकों को साथ लेकर चलने की बड़ी चुनौती है. हालांकि, प्रदीप यादव दावा कर रहे हैं कि उन्हें पार्टी के सभी विधायकों और नेताओं का समर्थन हासिल है.

धनबाद सीट पर कांग्रेस ने दिग्गजों की दावेदारी को दरकिनार कर ‘न्यूकमर’ अनुपमा सिंह को टिकट थमाया है. उनका इस चुनाव के पहले सक्रिय राजनीति से वास्ता नहीं रहा. उनकी सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बोकारो जिले के बेरमो से कांग्रेस की विधायक जयमंगल सिंह सिर्फ अनूप सिंह की पत्नी हैं. बोकारो और धनबाद में पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं का एक समूह उनकी उम्मीदवारी का विरोध कर रहा है. कुछ लोगों ने सोमवार की शाम अनुपमा की उम्मीदवारी पर विरोध जताते हुए पार्टी नेताओं के पुतले फूंके. इस सीट पर पूर्व सांसद ददई दुबे की भी दावेदारी थी. उन्हें टिकट नहीं मिला तो अब वे इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी ढुल्लू महतो को “आशीर्वाद” दे रहे हैं.

इससे संबंधित तस्वीर भी सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रही है. लोहरदगा सीट पर कांग्रेस ने पूर्व विधायक सुखदेव भगत को प्रत्याशी बनाया है. इस सीट पर झामुमो भी दावेदारी कर रहा था. अब खबर है कि विशुनपुर के झामुमो विधायक चमरा लिंडा यहां बागी प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतर रहे हैं. पिछले चुनाव में भी सुखदेव भगत और चमरा लिंडा दोनों मैदान में थे और दोनों के बीच वोटों के बंटवारे से भाजपा के प्रत्याशी की जीत की राह प्रशस्त हो गई थी. झामुमो विधायक चमरा लिंडा के फिर से मैदान में आने पर कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव भगत की मुश्किलें बढ़ेंगी, यह तय है.

एसएनसी/एबीएम