नई दिल्ली (New Delhi) . कांग्रेस पार्टी को अगले साल जनवरी में नया अध्यक्ष मिल सकता है. संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस पार्टी अपने नए अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए अगले साल जनवरी में ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की बैठक बुला सकती है. कांग्रेस कार्यसमिति सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग ने शुरू में सुझाव दिया था कि सत्र एक साल के भीतर आयोजित किया जाना चाहिए, मगर राहुल गांधी और कई अन्य नेताओं ने इसे अगले छह महीनों में आयोजित कराने पर बल दिया. कांग्रेस के इस विशाल संगठनात्मक अभ्यास के लिए जनवरी का शेड्यूल भी पार्टी को पसंद है, क्योंकि इस साल बिहार (Bihar)विधानसभा चुनाव के बाद कोई बड़ा चुनाव नहीं होगा.
साल 2021 में पांच विधानसभाओं- तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, असम और पुदुचेरी के चुनाव अप्रैल में कराए जाएंगे, तब तक कांग्रेस को एक नए नेता की अगुवाई में फिर से संगठित टीम के साथ आने और पार्टी को मजबूत करने का पर्याप्त समय मिल जाएगा. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सोनिया गांधी ने अंतरिम अध्यक्ष पद से इस्तीफे की पेशकश की थी और सीडब्ल्यूसी से एक नए प्रमुख को खोजने के लिए प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा था. बता दें कि सोनिया गांधी अगस्त 2019 से ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं. मगर मनमोहन सिंह सहित कई नेताओं ने उन्हें नए अध्यक्ष चुने जाने तक अपने पद पर बने रहने का आग्रह किया था. दरअसल, 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र पर मीटंग में काफी घमासान हुआ था और चिट्ठी के जरिए नेतृत्व में बदलाव की मांग की गई थी. पार्टी के नेताओं ने यह भी कहा कि 2017 और 2019 के बीच दो साल तक पार्टी का नेतृत्व करने वाले राहुल गांधी अध्यक्ष दोबारा बनने के खिलाफ हैं, मगर हजारों कांग्रेस कार्यकर्ता और कई नेता उन्हें फिर से पार्टी के नेता के रूप में देखना चाहते हैं. माना ये भी जा रहा है कि ये नेता और कार्यकर्ता गांधी परिवार के इतर अध्यक्ष मंजूर नहीं करेंगे.
सोनिया गांधी ने पहले ही पार्टी के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में एक वर्ष का कार्यकाल पूरा कर लिया है. वह मई 1998 से दिसंबर 2017 तक 19 से अधिक सालों के लिए पार्टी अध्यक्ष रहीं, उसके बाद राहुल गांधी ने पार्टी की बागडोर संभाली थी. हालांकि, लोकसभा (Lok Sabha) चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने मई 2019 में इस्तीफा दिया. दरअसल, ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का सत्र एक मैराथन प्रक्रिया है, जो राज्य स्तर से सदस्यता अभियान और प्रतिनिधियों के चुनाव के साथ शुरू होती है. पार्टी के हालिया इतिहास में कांग्रेस के अध्यक्ष को सर्वसम्मति से चुना गया है, एक उदाहरण को छोड़कर जब जितेंद्र प्रसाद ने 2000 में सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया था और उसमें वह बुरी तरह से हार गए थे.