प्रयागराज महाकुंभ में आस्था के साथ अर्थव्यवस्था का भी संगम

लखनऊ/महाकुंभ नगर, 18 जनवरी . कारोबार और रोजगार एक-दूसरे के पूरक हैं. अगर कारोबार होगा तो रोजी-रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. इनमें से कुछ रोजगार स्थायी होंगे और कुछ अस्थायी. इससे संबंधित लोगों का जीवन पहले से खुशहाल हो जाएगा. प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ भी इसका अपवाद नहीं है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कह चुके हैं कि पौष पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक करीब डेढ़ महीने के इस आयोजन में लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु, पर्यटक आएंगे. अगर औसतन एक पर्यटक अपनी बुनियादी जरूरतों पर लगभग 5,000 रुपए खर्च करे तो इस दौरान करीब दो लाख करोड़ रुपए का कारोबार होगा.

एक्सपर्ट्स के अनुसार करीब डेढ़ महीने का यह कारोबार संबंधित लोगों के लिए आठ महीने के कारोबार के बराबर होगा. इसका बड़ा हिस्सा करीब (25 हजार करोड़ रुपए) टैक्स के रूप में सरकार को मिलेगा. साथ ही देश की जीडीपी में भी इसका .03 फीसद का योगदान होगा. प्रयाग महाकुंभ के दौरान कारोबार के साथ रोजगार के भी अवसर बढ़ेंगे. इस बाबत विभिन्न एजेंसियों के रुझान भी आने लगे हैं.

स्टैफिंग रिक्रूटमेंट सर्विसेज और फर्स्ट मेरिडियन ग्लोबल के मुताबिक महाकुंभ के दौरान 6 लाख से लेकर 10 लाख अस्थायी रोजगार सृजित होंगे. इसमें महाकुंभ की बसाहट और इन्फ्रास्ट्रक्चर संबंधी अन्य काम, लॉजिस्टिक्स, ट्रांसपोर्टेशन, डेटा एनालिस्ट, डिजिटल सुरक्षा, ब्रांडिंग, मार्केटिंग के लिए बैनर, पोस्टर और फ्लेक्स, सोशल इन्फ्लूएंसर, हॉस्पिटैलिटी, इवेंट्स मैनेजमेंट आदि के क्षेत्र शामिल हैं.

इसके अलावा स्थानीय स्तर पर प्रसाद बेचने वालों, नाई, पुरोहित, सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, और टिकुली आदि बेचने वाले सबके हिस्से में कुछ न कुछ आना है. यकीनन यह औसत दिनों से कई गुना होगा. यही स्थिति कमोबेश स्थायी दुकानदारों की भी होगी. कारोबार और रोजगार का यह क्रम विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज के महाकुंभ तक ही सीमित नहीं है. अगर काशी में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर बनने के बाद वहां 2023 में करीब 10 लाख पर्यटक आए तो यकीनन उन्होंने काशी और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया होगा.

यही स्थिति अयोध्या की भी है. राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यहां पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आने का सारा रिकॉर्ड टूट गया. यह मौजूदा समय में हर रोज आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या के हिसाब से देश के प्रमुख धर्म स्थलों में नंबर एक पर है. जिस अयोध्या में 2016 से पहले हर साल औसतन 2.83 लाख पर्यटकों और श्रद्धालुओं का आगमन होता था. अब वहां रोज लगभग एक से डेढ़ लाख लोग आ रहे हैं. सितंबर 2024 तक अयोध्या में करीब 13.50 करोड़ पर्यटक एवं श्रद्धालु आ चुके थे.

अनुमान है कि साल के अंत तक यह संख्या 16 करोड़ के आसपास रही होगी. अयोध्या के कारोबारी खुद कहते हैं कि अब हम महीने में हजार की जगह लाख कमा ले रहे हैं. किसी खास अवसर पर होटल पहले से बुक हो जाते हैं. ऑक्यूपेंसी बढ़ने के साथ कुछ नए होटल भी खुले हैं. कुछ ने खुद को रिनोवेट कराया है, कुछ ने विस्तार कर अपनी ऑक्यूपेंसी भी बढ़ाई है. ताज सहित कई नामचीन ब्रांड वहां होटल बनाने जा रहे हैं. कई और पाइपलाइन में हैं. कारोबार और रोजगार के हिसाब से हर धार्मिक स्थल की यही स्थिति है. यही नहीं एक जगह की प्रगति का लाभ दूसरी जगह को भी मिल रहा है.

महाकुंभ इसका उदाहरण है. प्रयाग में दूरदराज से संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के बाद इनमें से कइयों का गंतव्य काशी, अयोध्या के साथ कुछ हद तक विंध्याचल भी है. इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. महाकुंभ के दौरान यहां बढ़ने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या इसका प्रमाण है. इन जगहों पर जाने वालों की सुविधा और सुरक्षा का योगी सरकार का पूरा ध्यान है.

एबीएम/एएस