दिल्ली में अवैध प्रवासियों की पहचान के समर्थन में आम लोग

नई दिल्ली, 16 नवंबर . दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने शुक्रवार को पुलिस कमिश्नर को अवैध प्रवासियों की पहचान करने का निर्देश दिया था. इसके लिए एक महीने तक विशेष अभियान चलाने की बात कही गई है. एलजी का यह निर्देश एमसीडी, एनडीएमसी और दिल्ली के मुख्य सचिव को भेजा गया है. इसे लेकर से शनिवार को कुछ स्थानीय लोगों से बात की. आम लोग इस कदम के समर्थन में नजर आए.

स्थानीय निवासी दामिनी सिंह ने कहा, “यह आदेश देश की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है. मैं सभी नागरिकों से अपील करती हूं कि वह अपने आस-पास के लोगों की पहचान करें. अगर कोई संदिग्ध व्यक्ति दिखे, तो उसकी जानकारी प्रशासन को दें. यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने देश की सुरक्षा में सहयोग करें और अवैध प्रवासियों को चिह्नित कर उन्हें देश से बाहर करने में मदद करें.”

एक अन्य महिला रागिनी तिवारी ने कहा कि यह बहुत अच्छा निर्णय है और हम सभी सनातनी, हिंदुस्तानी इस फैसले का स्वागत करते हैं. यह तो बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 10 करोड़ घुसपैठिए हैं. छुपे हुए कितने होंगे, यह केवल परमात्मा जानता है. एक तरह से सरकार ने आधार कार्ड बनाकर उन्हें कानूनी मान्यता दे दी है, जबकि बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों पर प्रति व्यक्ति तीन-तीन हजार रुपये खर्च हो रहे हैं. सरकार जो तीन-तीन हजार दे रही है, उसका असर हमारे बजट पर पड़ता है. यह देश धर्मशाला नहीं है. इसलिए, उन्हें जितनी जल्दी हो सके हटाया जाए, ताकि देश का बोझ कम हो सके.”

उन्होंने कहा, “ये घुसपैठिए छिपकर गृह युद्ध की तैयारी भी कर रहे हैं. जितने भी अपराध हो रहे हैं, उनमें इनका भी हाथ होता है. जब हम महाराष्ट्र में राष्ट्र निर्माण के लिए गए थे, तो हमने देखा कि ये लोग अपराध करके एक जगह से दूसरी जगह चले जाते हैं. इसका मतलब यह है कि यह उपाय पूरे हिंदुस्तान में जल्दी लागू होना चाहिए. यही कारण है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एनआरसी लागू करने की दिशा में कदम उठाया है. मुट्ठी भर गद्दार बैठकर इसे बैकफुट पर नहीं लाने देंगे, इसलिए मैं भारतीय जनता पार्टी से भी कह रही हूं कि सीएए और एनआरसी को लागू करना बहुत जरूरी है. भारत में जो छुपे हुए गद्दार हैं, जो देश के आतंकवादी हैं, उनका भी पर्दाफाश होना चाहिए. मैं भारत के मुस्लिम समुदाय से भी यह कहना चाहूंगी कि जो रोहिंग्या घुसपैठिए यहां आकर घुसपैठ कर रहे हैं, उनका असर कहीं न कहीं आपके ऊपर भी पड़ता है. इसलिए, इस फैसले का स्वागत करें और बांग्लादेशी घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने में सरकार का साथ दें. सरकार के इस कदम को सक्रिय रूप से समर्थन दें, ताकि देश की सुरक्षा और शांति बनी रहे.”

एक अन्य नागरिक विवेकानंद दीक्षित ने कहा, “यह एक स्वागत योग्य कदम है. यह हम सभी नागरिकों का दायित्व है, और सरकारों का भी. सबसे पहले तो यह सरकार का कर्तव्य है कि जो भी विदेशी घुसपैठिए हैं, उन्हें देश से बाहर निकाला जाए, क्योंकि वे हमारे लिए एक बोझ हैं. इस संदर्भ में, महाराष्ट्र में एक आंदोलन चल रहा है, जिसे जनता एनआरसी कहा जा रहा है. इस आंदोलन का पहला चरण शुरू हो चुका है और इसका असर पूरे देश में भी दिखाई दे रहा है. इस आंदोलन में हमारी यही अपील है कि हम अपने पड़ोसियों को पहचानें. हमें पड़ोस में रह रहे लोगों को पहचानने की जरूरत है. दूसरा मुद्दा यह है कि अब केवल घुसपैठिए ही नहीं, बल्कि ऐसे लोग भी वोटर बन रहे हैं. हमारे यहां कानून की कमी है, जिसका फायदा उठाकर ये लोग नागरिकता प्राप्त कर रहे हैं. अगर कोई जनप्रतिनिधि किसी व्यक्ति का परिचय पत्र देता है तो उसका आधार कार्ड बन जाता है. आधार कार्ड बन जाने के बाद वह व्यक्ति यहां की नागरिक सुविधाएं प्राप्त करने लगता है और धीरे-धीरे वह वोटर भी बन जाता है, जिसका मतलब है कि वह सरकार को चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.”

उन्होंने आगे कहा कि यह एक कारण है कि विभिन्न राजनीतिक दल अपने छोटे स्वार्थ के लिए इन घुसपैठियों का स्वागत कर रहे हैं और उन्हें अपना वोटर बनाने की कोशिश कर रहे हैं. वे इन्हें अपने घरों की तरह यहां बसाने का प्रयास कर रहे हैं. इसका परिणाम यह हो रहा है कि देश में एक डेमोग्राफिक परिवर्तन हो रहा है, जो किसी भी दृष्टिकोण से देश के हित में नहीं है. हम सभी नागरिकों का यह कर्तव्य है कि हम ऐसे विदेशी नागरिकों की पहचान करने में सरकार की मदद करें और सरकार को इन घुसपैठियों को बाहर निकालने में समर्थन करें. हम सभी सरकारों से यह मांग करते हैं कि वे इस दिशा में कदम उठाएं. दिल्ली में इस प्रकार के घुसपैठियों की संख्या बहुत अधिक है. इसलिए दिल्ली की सरकार को भी इस मुद्दे पर जागरूक होना चाहिए और इसे हल करने के लिए कार्रवाई करनी चाहिए. यह निश्चित रूप से देश के हित में होगा.

पीएसके/एकेजे